नई दिल्ली:शेयर मार्केट में इन्वेस्टर्स का रुझान फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग (F&O Trading) की ओर लगातार बढ़ा है. ऐसे में 'फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग' में अत्यधिक सट्टा व्यापार को कम करना बजट का लक्ष्य है. वहीं, केंद्रीय बजट में इक्विटी पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) (LTCG-long term capital gains) कर को पिछले 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने की घोषणा के बाद आज दलाल स्ट्रीट में भारी गिरावट देखी गई. अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG- Short term capital gains)) टैक्स 15 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो गया. हालांकि, LTCG टैक्स छूट की सीमा भी 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दी गई.
फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग और सट्टा बाजार
वहीं, दोनों प्रमुख बेंचमार्क, सेंसेक्स और निफ्टी को भारी नुकसान हुआ, जिससे निवेशक चिंतित नजर आ रहे हैं. दूसरी तरफ बाजार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि एफएंडओ पर ऊंचे करों की उम्मीद थी और बाजार में अत्यधिक सट्टेबाजी के कारोबार को कम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. उनका यह भी मानना है कि अल्पावधि के लिए बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है.
क्या कहते हैं बाजार के जानकार
वहीं, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के कार्यकारी निदेशक, सतीश मेनन ने कहा कि बजट में अंतरिम बजट में उल्लिखित प्रगतिशील उपायों पर आधारित होने की उम्मीद थी. हालांकि, कुल सरकारी व्यय अंतरिम बजट के लक्ष्य के अनुरूप है और फोकस राजकोषीय घाटे को 4.9 फीसदी तक कम करने पर है, जो वित्त वर्ष 24 के लिए अनुमानित 5.6 प्रतिशत से काफी कम है. मुख्य सकारात्मक बातें रोजगार सृजन, कार्यबल कौशल विकास, कृषि, शहरी और ग्रामीण आवास में सुधार और एमएसएमई क्षेत्र को उच्च वित्तपोषण के उद्देश्य से नई मैक्रो-पहल हैं, जिससे जनता का उत्थान होना चाहिए.
अल्पकालिक निवेशकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना
मेनन ने कहा कि, पूंजीगत लाभ कर में वृद्धि परेशान करने वाला है और यह एक ऐसी आश्चर्य की बात है जो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि, एसटीसीजी में 5 फीसदी की वृद्धि से निकट अवधि में अल्पकालिक निवेशकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है.
क्या यह अच्छा संकेत है?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी के विजयकुमार ने पेश किए गए केंद्रीय बजट पर बोलते हुए कहा कि, इस बजट का व्यापक विषय राजकोषीय सुदृढ़ीकरण और रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करना है. वित्त वर्ष 25 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को अंतरिम बजट में 5.1 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदा करना अब वित्तीय स्थिरता के साथ विकास पर सरकार के फोकस को दर्शाता है. यह, साथ ही वित्त वर्ष 2015 में 11.11 लाख करोड़ रुपये (3.4 फीसदी जीडीपी) पूंजीगत व्यय लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए अच्छा संकेत है.
बजट पर क्या बोले विशेषज्ञ?
उन्होंने कहा कि, बाजार के नजरिए से पूंजीगत लाभ से कर राजस्व बढ़ाने के इरादे से बजट प्रस्ताव थोड़े नकारात्मक हैं. एसटीसीजी टैक्स में 15 फीसदी से 20 फीसदी की तेज बढ़ोतरी है. एलटीसीजी कर में 10 फीसदी से 12.5 फीसदी की वृद्धि केवल मामूली है, खासकर जब एलटीसीजी कर छूट सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये करने के परिप्रेक्ष्य से देखा जाता है. प्राप्तकर्ताओं के हाथों शेयर पुनर्खरीद आय पर कराधान भी नकारात्मक है. एफएंडओ पर ऊंचे करों की उम्मीद थी और बाजार में अत्यधिक सट्टा कारोबार को कम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. डॉ. वी के विजयकुमार ने कहा कि, बजट में एक बड़ी सकारात्मक बात एंजेल टैक्स को खत्म करने का प्रस्ताव है. यह स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा.