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जरूरतमंदों पर बजट का खर्च, जानें सरकार के लिए सब्सिडी कैसे बनी चुनौती - BUDGET 2025

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025 को पेश करेंगी. इस बजट में महत्वपूर्ण आंकड़ा सब्सिडी के लिए आवंटन होगा.

Finance Minister Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Getty Image)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 28, 2025, 4:58 PM IST

नई दिल्ली:जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी, तो एक महत्वपूर्ण आंकड़ा सब्सिडी के लिए आवंटन होगा. सब्सिडी समाज के जरूरतमंद और गरीब वर्गों को सहायता देती है, जो किसी भी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन आधार का गठन करते हैं.

केंद्र सरकार जरूरतमंदों और किसानों को तीन प्राथमिक सब्सिडी देती है- जिसमें फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर.

फूड सब्सिडी का उद्देश्य अधिकांश भारतीयों को सस्ता खान उपलब्ध कराना है. दूसरी ओर फ्यूल सब्सिडी का उद्देश्य गरीबों पर ऊर्जा खपत के बोझ को कम करना है, ताकि लक्षित लाभार्थियों के लिए केरोसिन तेल और घरेलू रसोई गैस की कीमतों को एक निश्चित स्तर से नीचे रखा जा सके. फर्टिलाइजरसब्सिडी का उद्देश्य भारतीय किसानों को सस्ती यूरिया और अन्य पोषक तत्व आधारित उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करना है.

केंद्र सरकार ने इस साल मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए 48 लाख करोड़ रुपये से अधिक का रिकॉर्ड बजट पेश किया. इसमें से 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक राजस्व खर्च के लिए और 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक पूंजीगत खर्च के लिए आवंटित किए गए.

सरकार दो तरह से करती है खर्च
राजस्व खर्च से सरकार के लिए किसी भी भौतिक संपत्ति का निर्माण नहीं होता है और इसमें वेतन, मजदूरी, पेंशन, ब्याज भुगतान, लोन सेवा, सब्सिडी भुगतान और अन्य परिचालन खर्च जैसे खर्च शामिल होते हैं. वहीं दूसरी ओर पूंजीगत खर्च में भवन, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च शामिल होता है.

इस वर्ष 37 लाख करोड़ रुपये के राजस्व खर्च में से सरकार ने 4.28 लाख करोड़ रुपये या कुल बजटीय व्यय का लगभग 9 फीसदी सब्सिडी पर खर्च करने का प्रस्ताव रखा है, जो राजस्व खर्च है क्योंकि इससे सरकार के लिए किसी भी संपत्ति का निर्माण नहीं होता है. दूसरे शब्दों में इस वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) में सरकार द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक 10 रुपये के लिए देश के किसानों सहित समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्गों को वित्तीय सहायता के रूप में एक रुपया आवंटित किया जाएगा.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत केंद्र सरकार को एक वित्तीय वर्ष के लिए अपनी कुल अनुमानित प्राप्तियों और व्ययों को संसद में प्रस्तुत करना आवश्यक है, जिसे वार्षिक वित्तीय विवरण (AFS) या केंद्रीय बजट के रूप में जाना जाता है.

फूड सब्सिडी
खाद्य सुरक्षा विधेयक, जो गरीबों और जरूरतमंदों को सब्सिडी वाले खाना उपलब्ध कराने पर होने वाले खर्च को कवर करता है. केंद्र सरकार के सब्सिडी बिल का सबसे बड़ा हिस्सा है.

उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वास्तविक खाद्य सब्सिडी बिल 2.73 लाख करोड़ रुपये था. अगले वर्ष सरकार ने फूड सब्सिडी बिल को 75,000 करोड़ रुपये से अधिक कम करने का लक्ष्य रखा, जो लगभग 28 फीसदी की कटौती थी. हालांकि, खाद्य सब्सिडी के बोझ को 2 लाख करोड़ रुपये से कम करने के सरकार के इरादे के बावजूद, संशोधित अनुमान में 2.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि दिखाई गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 15,000 करोड़ रुपये की वृद्धि है.

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक खाद्य सब्सिडी बिल अगले महीने की शुरुआत में पता चलेगा. जब वित्त मंत्री 1 फरवरी (शनिवार) को अगले वित्त वर्ष के लिए अपने बजट प्रस्ताव पेश करेंगी.

फर्टिलाइजर सब्सिडी
दूसरा सबसे बड़ा फर्टिलाइजर सब्सिडी है. यह सब्सिडी सीधे किसानों को नहीं बल्कि उर्वरक उत्पादकों को दी जाती है. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने इस मद में 1.65 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं- यूरिया सब्सिडी के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये और किसानों को पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के लिए 45,000 करोड़ रुपये. हालांकि पिछले अनुभव से पता चलता है कि इस क्षेत्र में बजटीय आवंटन और वास्तविक व्यय दोनों में वृद्धि की प्रवृत्ति है.

उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, वित्त मंत्री सीतारमण ने यूरिया सब्सिडी के लिए 1.31 लाख करोड़ रुपये और पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के लिए 44,000 करोड़ रुपये आवंटित किए. हालांकि पिछले वित्त वर्ष के संशोधित आंकड़ों में यूरिया सब्सिडी खर्च में मामूली गिरावट देखी गई, जबकि पोषक तत्व आधारित सब्सिडी बिल 44,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो 37 फीसदी से अधिक की वृद्धि है.

फ्यूल सब्सिडी
पेट्रोल और डीजल की कीमतों के विनियमन के साथ केंद्र सरकार का फ्यूल सब्सिडी बिल पिछले कुछ वर्षों में काफी कम हो गया है. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार को फ्यूल सब्सिडी पर केवल 12,000 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है.

चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने एलपीजी सब्सिडी के लिए 11,925 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 12,000 करोड़ रुपये से अधिक था.

अन्य सब्सिडी
इन तीन मुख्य सब्सिडी के अलावा केंद्र सरकार अन्य सब्सिडी पर लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च करती है, जिससे चालू वित्त वर्ष के लिए कुल सब्सिडी बिल 4.28 लाख करोड़ रुपये हो जाता है.

उदाहरण के लिए केंद्र ने समाज के विभिन्न वर्गों को ब्याज सब्सिडी के लिए लगभग 30,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसमें विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं, आवास योजनाओं, राष्ट्रीय विद्युत कोष पर ब्याज छूट आदि के लिए सब्सिडी शामिल है.

केंद्र ने विभिन्न बाजार हस्तक्षेप योजनाओं और मूल्य स्थिरीकरण निधि पर सब्सिडी के लिए लगभग 18,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जब सरकार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए बाजार की कीमतों में हस्तक्षेप करती है. इन मामलों में, सरकार बाजार मूल्य पर वस्तुओं की खरीद करती है, लेकिन उन्हें उपभोक्ताओं को रियायती दर पर बेचती है.

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