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भारतीय बैंकों में अगर शुरू हुई 5 दिन वर्किंग, तो ग्राहकों पर क्या होगा प्रभाव? जानें - 5 DAYS WORKING

भारतीय बैंक संघ (IBA) और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने कई बार 5 दिन वर्किंग का प्रस्ताव रखा है.

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बैंक (ETV Bharat Graphics)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 19, 2024, 3:17 PM IST

नई दिल्ली: भारत में बैंकों के लिए 5 दिन वर्किंग को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. फिलहाल देशभर के सभी बैंक सप्ताह में छह दिन काम करते हैं. हालांकि, उन्हें दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टी मिलती है. यानी कुल मिलाकर बैंकों को महीने में कुल 6 छुट्टियां मिलती हैं.

बता दें कि लंबे समय से बैंक कर्मचारी 5 दिन वर्किंग की मांग कर रहे हैं. फिलहाल यह प्रस्ताव अभी भी वित्त मंत्रालय की मंजूरी के इंतजार में है. इससे पहले इसके दिसंबर 2024 में इसे लागू करने की उम्मीद थी.

भारतीय बैंक संघ (IBA) और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने कई बार 5 दिन वर्किंग का प्रस्ताव रखा है. इसका उद्देश्य ग्लोबल बैंकिंग नियमों के अनुसार कामकाज को ढालना, कर्मचारियों के लिए बेहतरी और प्रोडक्टिविटी में सुधार करना है. ऐसे मे सवाल यह है कि अगर भारत में 5 डे वर्किंग सिस्टम लागू होता है तो इसकार ग्राहकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

ग्राहकों पर क्या होगा असर?
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे ग्राहकों को परेशानी हो सकती है. इसके लागू होने के बाद ग्राहकों को बैंक शाखाओं में जाने के लिए अपनी प्लानिंग को बेहतर तरीके से बनाना होगा. खासकर उन इलाकों में जहां डिजिटल बैंकिंग का इस्तेमाल कम होता है. हालांकि, वर्किंग डेज में ग्राहकों को बैंकिंग के लिए एक्स्ट्रा समय मिलेगा, क्योंकि 5 दिन वर्किंग बैंक लगभग 40 मिनट एक्स्ट्रा काम करेंगी.

5 दिन वर्किंग की योजना लागू करने क्या हैं चुनौतियां
भले ही बैंक कर्मचारी और संगठन 5 डे वर्किंग की मांग कर रहे हों, लेकिन इसको लागू करने में कई चुनौतियां हैं. इसमें सबसे बड़ी बाधा रेगूलेटरी की मंजूरी है. साथ ही इसके लिए काम के घंटों, सैलरी और अन्य ऑपरेशन संबंधी बदलावों को लेकर कर्मचारियों और मैनेजमेंट के बीच आम सहमति बनने की जरूरत पड़ेगी, जो कि आसान काम नहीं है.

कहां-कहां 5 दिन वर्किंग?
बता दें कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में यह सिस्टम लागू है. यहां बैंक पहले से ही 5 दिन वर्किंग मॉडल के तहत काम कर रहे हैं. भारतीय बैंक इस मॉडल को अपनाने की प्रेरणा इन्हीं देशों से लेतें हैं. हालांकि, भारत के लिए इसे अपनानाइ इतना आसान नहीं है, क्योंकि भारत की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां इन देशों से अलग हैं.

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