हैदराबाद: आर्थिक तंगी और निराशा का सामना करने के बावजूद हैदराबाद की वैष्णवी दुनिया में पावरलिफ्टिंग की दृढ़ संकल्प की मिसाल बनकर उभरी हैं. अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से उन्होंने हाल ही में कॉमनवेल्थ गेम्स में जगह बनाई है. इस दौरान उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है.
वैष्णवी की यात्रा में दृढ़ता और समर्पण की झलक मिलती है. एक साधारण बैकग्राउंड से आने वाली इस युवा एथलीट ने अपने सपने को पूरा करने के लिए कई बाधाओं को पार किया. अपने परिवार और कोच के सहयोग से वह पावरलिफ्टिंग में बड़ी उपलब्धी हासिल करने में सफल रही हैं. वैष्णवी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुल 40 मेडल जीत चुकी हैं.
आर्थिक चुनौतियों का करना पड़ा सामना
सिकंदराबाद में गीता और राम महेश के घर जन्मी वैष्णवी के परिवार को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके पिता महेश अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मैकेनिक का काम करते हैं, जबकि उनके भाई ने बीटेक की पढ़ाई की है. फिलहाल वह नौकरी की तलाश कर रहा है. इन संघर्षों के बीच, वैष्णवी ने खेलों के प्रति अपने जुनून के साथ खुद को अलग पहचान दिलाई है. अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, उन्होंने अपनी ताकत और स्किल का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भाग लिया.
शारीरिक प्रयास और अनुशासन की आवश्यकता
एथलीट की मां गीता ने कहा कि वैष्णवी का खेल के प्रति प्रेम पावरलिफ्टिंग तक सीमित नहीं है. उसने कबड्डी, वॉलीबॉल, खोखो और सॉफ्टबॉल जैसे गेम खेले. उसके कॉलेज ने उसकी एथलेटिक क्षमता को पहचाना और प्रोत्साहित किया. उसे टीम गेम के बजाय इंडिविजुअल गेम में विशेषज्ञता हासिल करने की सलाह दी गई. इसके चलते वैष्णवी ने पावरलिफ्टिंग को चुना, जो एक ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक प्रयास और अनुशासन की आवश्यकता होती है.