वाराणसी :साल 2024 कापहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को लगने जा रहा है. करीब 50 साल बाद ऐसी अद्भुत खगोलीय घटना देखने को मिलेगी. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के खगोलविद के अनुसार यह सबसे लंबा सूर्यग्रहण होगा. इस घटना का प्रभाव जानवरों और मनुष्यों के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है. नासा के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च करेंगे. बीएचयू के ज्योतिष भी इसे महत्वपूर्ण घटना मान रहे हैं. इस दौरान कई ग्रहों के साथ ही धूमकेतु को भी देखा जा सकेगा. हालांकि भारत में यह सूर्यग्रहण दिखाई नहीं देगा. इसकी वजह से राशियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सूर्यग्रहण को नासा की वेबसाइट पर जाकर देखा जा सकता है.
चैत्र अमावस्या पर 8 अप्रैल को यह सूर्यग्रहण लगने वाला है. ये साल 2024 का पहला सूर्यग्रहण होगा. जानकारों का कहना है कि सूर्यग्रहण मीन राशि, स्वाती नक्षत्र में लगेगा. यह उत्तरी अमेरिका, पश्चिम यूरोप, उत्तर दक्षिण अमेरिका, आर्कटिक सहित कई स्थानों पर देखा जा सकेगा. पूर्ण सूर्यग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा.
ज्योतिषविदों का कहना है कि इस पूर्ण सूर्यग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच एक ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर जाने से रोक देता है. चंद्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है. ऐसे में पूर्ण सूर्यग्रहण होता है.
4 मिनट 27 सेकेंड का पूर्ण सूर्यग्रहण :काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अभय कुमार सिंह बताते हैं कि पूर्ण सूर्यग्रहण 8 अप्रैल 2024 को आने वाला है. यह घटना बहुत ही महत्वपूर्ण है.यह 50 साल के बाद उत्तरी अमेरिका में होगी. उत्तरी अमेरिका के तीन महत्वपूर्ण देश हैं, मैक्सिको, अमेरिका और कनाडा. यह सूर्य ग्रहण प्रशांत महासागर से चलेगा और फिर मैक्सिको में जाएगा. बताया जा रहा है कि 50 साल बाद ऐसा योग बन रहा जब करीब 5 मिनट तक सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है.
मैक्सिको से गुजरते हुए अमेरिका के टलास, टेक्सास होते हुए कनाडा में जाएगा. कनाडा में भी बहुत से स्थानों से होते हुए यह ऊपर की ओर जाएगा. आर्कटिक सागर से होते हुए यह निकल जाएगा. यह 4 मिनट 27 सेकेंड का पूर्ण सूर्यग्रहण होगा. आंशिक रूप से यह पूरे अमेरिका में दिखाई देगा.
50 साल बाद दिखेगी यह अद्भुत घटना :प्रोफेसर ने बताया कि अमेरिका में दिखाई देने का साथ ही आंशिक रूप से यह पनामा में भी दिखाई देगा. इसके साथ ही ब्राजील में भी इसी तरह से दिखाई देगा. यूरोप में नार्वे, फिनलैंड, आइसलैंड और ग्रेट ब्रिटेन से होकर यह निकलेगा. यह खगोलीय दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है.
कनाडा और नार्थ अमेरिका में करीब-करीब 50 साल बाद यह दिखाई देगा. अमेरिका में भी यह घटना करीब 8 साल बाद दिखाई देगी. यह पूर्ण सूर्यग्रहण काफी लंबे समय का भी है तो ऐसे में बहुत सारा रिसर्च भी होगा. इसके लिए नासा की पूरी टीम लग गई है. टीम अलग-अलग तरीके से इस घटना को बारे में विश्लेषण करेगी.