चंडीगढ़ :हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस यानि वर्ल्ड थिएटर डे (World Theatre Day) मनाया जाता है. थिएटर आर्ट्स के महत्व की ओर ध्यान आकर्षित करने और समाज को इसके बारे में जागरुक करने के लिए वर्ल्ड थिएटर डे मनाया जाता है. इसके जरिए कोशिश ये रहती है कि दुनियाभर में रंगमंच को बढ़ावा दिया जा सके. यूनानियों के वक्त से ही रंगमंच मनोरंजन का साधन रहा है. इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट ने साल 1961 में विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना की थी. रंगमंच को अकसर आम जिंदगी के साथ जोड़कर देखा जाता है क्योंकि ये आम जिंदगी से जुड़े हुए मुद्दों को एक कला के रूप में पेश करता है.
हरियाणा से निकले कई थिएटर आर्टिस्ट :चंडीगढ़ की बात की जाए तो यहां हर कॉलेज में एक स्टेज है, जिससे हर साल नए कलाकार उभरते हैं. वहीं हरियाणा जैसे राज्य में आज भी थिएटर करने वालों की कमी देखी जा रही हैं, जिसके चलते हरियाणा का युवा थिएटर की ट्रेनिंग लेने के लिए चंडीगढ़ पहुंच रहा है. हरियाणा से अगर थिएटर आर्टिस्ट की बात की जाए तो सबसे पहला नाम ओम पुरी, सतीश कौशिक का आता है. उसके बाद रणदीप हुड्डा का नाम आता है. वहीं जयदीप अहलावत, यशपाल शर्मा, राजकुमार राव, सुनील ग्रोवर और बहुत से ऐसे कलाकार आज के दौर में अपने राज्य के साथ-साथ देश का भी नाम भी रौशन कर रहे हैं. वहीं महिलाओं में मीता वशिष्ठ, गीता अग्रवाल, मेघना मलिक, निशा शर्मा और संगीता पवार ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अपना सफर हरियाणा के एक छोटे शहर से शुरू किया था और आज वे बॉलीवुड के बड़े पर्दे पर काम कर रहे हैं.
थिएटर आर्टिस्ट को लेकर बदला दौर :एक वक्त था, जब थिएटर में जाने की जिद पर हर बच्चे के माता-पिता उसके खिलाफ होते थे, लेकिन आज का दौर बदल चुका है. आजकल माता-पिता खुद बच्चों को इस तरह की कलाओं में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. वहीं महिलाओं को भी इस दौर में परिवार की ओर से अच्छा-खासा समर्थन मिल रहा है. चंडीगढ़ की थिएटर आर्टिस्ट गौरी ने बताया कि उन्हें उनके परिवार का हमेशा से साथ मिला है. उनके दो बड़े भाई हैं जो थिएटर एक्टर है. ऐसे में वे दोनों चाहते थे कि वे भी थिएटर लाइन में ही आएं. गौरी ने आगे बताया कि उन्हें हर दिन थिएटर में कुछ ना कुछ नया सीखने को मिलता है और यही सीख जब वे बाकी लोगों को देती हैं तो उन्हें एक अंदरूनी खुशी मिलती है.
ओटीटी ने भरा युवाओं में जोश :वहीं थिएटर आर्टिस्ट हीरा सिंह ने बताया कि वे पिछले 12 सालों से थिएटर से जुड़े हुए हैं. 4 साल उन्होंने बैक स्टेज पर रहते हुए काम किया. उन्होंने जो कुछ जानकारी हासिल की है, उसे वे नए उभरते आर्टिस्ट के साथ बांटते हैं. वहीं जब से ओटीटी प्लेटफॉर्म आए हैं, तब से युवाओं में थिएटर को लेकर एक अलग जोश जागा है. आज हरियाणा के दूर-दूर शहरों से युवा चंडीगढ़ में थिएटर सीखने के लिए पहुंचते हैं.
थिएटर की अलग दुनिया :सिरसा के नितिन बताते हैं कि वे पिछले 13 सालों से थिएटर कर रहे हैं. उनकी शुरुआत पुराने समय की तरह रामलीला के मंच से हुई थी. इसके बाद उन्होंने इस पेशे को गंभीरता से लेते हुए चंडीगढ़ की ओर रुख किया. उन्होंने कहा कि वे खुद भी स्टेज पर अभिनय करते हैं और युवाओं को भी इस अभिनय को सीखने में मदद करते हैं. वहीं यमुनानगर से आए माधव ने बताया कि जब वे यमुनानगर में थे तो उन्हें थिएटर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वे इस पेशे को गंभीरता से सीखना चाहते थे, जिसके लिए वे कुछ दिन के लिए चंडीगढ़ आए. माधव ने कहा कि उन्होंने थिएटर की एक अलग ही दुनिया को पाया. इसके बाद वापस यमुनानगर लौटने का उनका मन नहीं किया.