देहरादून:उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों और धार्मिक स्थलों पर लगातार साल दर साल बढ़ रही भीड़ सरकार के लिए भले ही अब तक चुनौती न हो, लेकिन इस बार चारधाम यात्रा की व्यवस्था और धामों में उमड़ रही भीड़ को देखकर न केवल राज्य सरकार बेहद चिंतित है, बल्कि पूरा शासन प्रशासन परेशान दिखाई दे रहा है.
उत्तराखंड में बनेगा धार्मिक यात्रा प्राधिकरण:यही कारण है कि श्रद्धालुओं की लगातार मौत, सड़कों पर लगता जाम और रोजाना लाखों की तादात में उत्तराखंड आ रहे श्रद्धालुओं की व्यवस्थाओं को लेकर अब राज्य सरकार उत्तराखंड की तमाम धार्मिक यात्राओं के लिए एक नया प्राधिकरण बनाने जा रही है. हालांकि इसकी जरूरत त्रिवेंद्र सरकार के दौरान भी पड़ी थी. तब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड बनाकर तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा मोल ले लिया था. अब कुछ-कुछ इस दिशा में धामी सरकार भी आगे बढ़ती दिखाई दे रही है. उत्तराखंड में लगने वाले मेले और यात्रा जिसमें प्रमुख चारधाम यात्रा, हरिद्वार में लगने वाला कावड़ मेला, अर्ध कुंभ मेला कुंभ मेला, नंदा देवी राजजात यात्रा और कैंची धाम में सालाना जुटने वाली लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ कैसे बिना समस्या के दर्शन और यात्रा कर सके, इसको लेकर एक नया प्राधिकरण बनाने की प्लानिंग शुरू हो गई है. आखिरकार कैसे काम करेगा यह प्राधिकरण और क्या कुछ होगा इसमें, चलिए हम आपको बताते हैं.
क्यों जरूरत पड़ी प्राधिकरण की?आखिरकार उत्तराखंड सरकार को प्राधिकरण बनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है. इस सवाल का जवाब इस बार की यात्रा के शुरुआती दिनों में ही सरकार और पूरे सिस्टम को मिल गया था. गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के बाद से ही राज्य की चारधाम यात्रा देश में चर्चा का विषय बन गई थी. विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा था कि पूरी की पूरी सरकार चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त है. लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड में परेशान हो रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनावी कार्यक्रम को बीच में रोककर उत्तराखंड में आकर तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लिया. लेकिन व्यवस्था इतनी बिगड़ गई थी कि सरकार को रजिस्ट्रेशन पर रोक 31 मई तक लगानी पड़ी.
सीएम धामी की लगी मुहर: लिहाजा सीएम ने इसकी लंबी योजना बनाने के लिए अधिकारियों से बातचीत की. जिसके बाद शासन ने उत्तराखंड सरकार को एक प्रस्ताव दिया. इस प्रस्ताव में कहा गया कि अगर राज्य में तमाम धार्मिक यात्राओं का मैनेजमेंट करने के लिए एक प्राधिकरण बनाया जाता है, तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए काफी हद तक राज्य के पास संसाधन रहेंगे. इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे मसौदे पर अपनी मुहर लगाकर इस पर अधिकारियों को आगे काम करने का दिशा निर्देश दिया है.
अधिकारी बोले सिर्फ चारधाम ही नहीं, सभी यात्राओं को होगा फायदा:गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे की मानें तो उत्तराखंड में बन रहा प्राधिकरण सिर्फ चारधाम यात्रा के लिए नहीं होगा. उत्तराखंड में साल भर अलग-अलग धर्मों, अलग-अलग मंदिरों, गंगा किनारों पर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं. ऐसे में हम यह चाहते हैं कि एक पूरा का पूरा अलग सिस्टम इन यात्राओं का बनाया जाए, ताकि आगे से ऐसी समस्या फिर दोबारा से पैदा ना हो. इस प्राधिकरण के तहत बहुत से ऐसे काम किए जाएंगे, जो अब तक राज्य में नहीं हुए हैं. हां इतना जरूर है कि यह प्राधिकरण ना तो देवस्थानम बोर्ड की तरह होगा और ना ही इसमें किसी भी मंदिर का संचालन वहां के तीर्थ पुरोहितों से जुड़े फैसले यह प्राधिकरण ले पाएगा.