गिरिडीह/हजारीबाग: साऊथ अफ्रीका के कैमरुन में 27 श्रमिक फंस गए हैं. ये श्रमिक गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग जिले के हैं. श्रमिकों ने कैमरुन से वीडियो मैसेज भेजा है और बताया है कि उन्हें काम के बदले वेतन नहीं मिल रहा है. इतना ही नहीं उन्हें ठीक से भोजन भी नहीं मिल रहा है. इस मैसेज के आने के बाद प्रशासन भी परिजनों का हाल जानने के प्रयास में जुटा है. वहीं परिजन चिंतित हैं.
गिरिडीह से संवाददाता अमरनाथ सिन्हा की रिपोर्ट (ईटीवी भारत) विदेश मंत्रालय ने मजदूरों के फंसे होने की पुष्टि की है. बुधवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीय उच्चायोग को दक्षिण अफ्रीका में फंसे भारतीय कामगारों की जानकारी है और वह स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर इसका समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है. मजदूरों द्वारा वीडियो पोस्ट करने के बाद झारखंड की महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबी देवी ने इसे अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया. अपनी पोस्ट में उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करते हुए सभी की मदद की अपील की.
विजय की भाभी ने बताई पूरी कहानी
जो 27 श्रमिक कैमरुन में फंसे हैं उसमें डुमरी प्रखंड के अतकी गांव के दो श्रमिक शामिल हैं. इन श्रमिकों के नाम रमेश महतो और विजय कुमार महतो हैं. दोनों श्रमिकों के घर पर ईटीवी भारत की टीम पहुंची. विजय कुमार महतो ऊर्फ छोटू की भाभी फूल कुमारी देवी बताती हैं कि जनवरी में ससुर सुशील महतो का निधन हो गया. इसके दो माह बाद होली के समय एक रिश्तेदार कड़रुखुट्टा के निवासी ने विजय से सम्पर्क किया. कहा कि साऊथ अफ्रीका के कैमरुन में काम है. यहां टावर लाइन में काम करना है. तनख्वाह 35 हजार मिलेगा इसके बाद ओवर टाइम करने पर तनख्वाह 45 हजार हो जाएगा. इस झांसे में विजय आ गया और विदेश चला गया. अब चार माह से इसे तनख्वाह नहीं मिल रहा है.
न भोजन न पैसा, दिनों दिन बढ़ती जा रही है मुश्किल
फूल कुमारी बताती हैं कि उनके देवर को यह बोलकर ले जाया गया कि कम्पनी में काम है लेकिन कैमरुन में सभी मजदूर को ठेकेदार के हवाले कर दिया गया. ठेकेदार न तो पैसा देता है और न ही ठीक से भोजन मिल रहा है. फूल कुमारी नें आगे कहा की मंगलवार की रात को देवर से बात हुई उन्होंने बताया कि वे लोग फंस गए हैं. फूल कुमारी बताती है कि जब वेतन नहीं मिला तो पिछले माह 25 जून से झारखंड से गए श्रमिकों ने काम करना बंद कर दिया. इसके बाद शोषण बढ़ गया, 15 जुलाई से तो स्थिति और भी खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को वापस लाया जाए.
डुमरी में मजदूर रमेश के घर से जानकारी देते संवाददाता अमरनाथ (ईटीवी भारत) बस बेटा घर वापस आ जाएः रमेश की मां
साऊथ अफ्रीका के कैमरुन में फंसे झारखंड के 27 श्रमिकों में गिरिडीह जिले के अतकी का रमेश महतो भी हैं. रमेश को भी वेतन नहीं मिल रहा है और भोजन के भी लाले पड़ गए हैं. ईटीवी भारत की टीम रमेश के घर पर पहुंची तो यहां और उसकी मां अग्नि देवी और भाई मिला. अग्नि देवी से बात की गई तो उसने बताया कि उसका बेटा पिछली दफा भी विदेश गया था. छह माह बाद लौटा तो मकान का काम करवाया. इस बार विदेश जाने से पहले रमेश ने कहा था कि छह माह बाद लौटूंगा तो मकान का प्लास्टर करवाया जाएगा लेकिन वह अन्य साथियों के साथ फंस गया है.
अग्नि देवी ने बताया कि उसका बेटा जब भी घर पर फोन करता है तो बताता है कि उन्हें ठीक से भोजन भी नहीं मिल रहा है. बताती हैं कि उन्हें तो अब बेटा वापस चाहिए. वहीं रमेश का भाई नितेश बताता है कि इस बार किसी तरह उसने अपने भाई का मोबाइल रिचार्ज करवाया था. यहां बता दें कि इसी वर्ष होली के बाद मार्च महीने में गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो के 27 श्रमिक ट्रांसमिशन लाइन के काम करने दक्षिण अफ्रीका के कैमरुन गए थे. यहां से इन्हें यह कह कर ले जाया गया कि बड़ी कंपनी में काम मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सभी श्रमिकों को ठेकेदार के हवाले कर दिया गया. उसके बाद इनका शोषण शुरू हुआ.
बेहतर रोजगार की आस में गए विदेश : उपमुखिया
इधर, अतकी के पूर्व उपमुखिया बासुदेव महतो ने बताया कि क्षेत्र में रोजगार की कमी है ऐसे में लोग विदेश जाते हैं और फंस जाते हैं. इस बार कैमरुन में उनके गांव के दो लोग फंस गए हैं. उन्हें वेतन भी नहीं मिल रहा है.
हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के अचलजमाओ, खरना और चानो गांव के चार मजदूर साउथ अफ्रीका के कैमरून में फंस गए हैं. उनके परिवार वालों के ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है. घर में पिछले दो दिनों से चूल्हा तक नहीं जला है. गांव के लोग उन्हें ढांढ़स दे रहे हैं. तो परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल है. सभी ने सरकार से यह मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी वतन वापसी कराई जाए.
हजारीबाग से संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ईटीवी भारत) पीड़ित परिवार में बताया कि पिछले चार माह से मजदूरों को मजदूरी नहीं दी जा रही है. खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. ठेकेदार एक निजी कंपनी में काम दिलाने की लालच दे कर विदेश ले गया था. भिखन महतो की बेटी मीना कुमारी का कहना है कि पैसा नहीं भेजने के कारण घर में गुर्जर बसर भी नहीं हो रहा है. पिता की स्थिति भी बेहद गंभीर हो गई है.
समाजसेवी सुनील सिंह ने बताया कि जब पिछले कई दिनों से पूरे गांव में ही मातम सा माहौल है. गांव के युवक जो काम करने के लिए विदेश गए थे वह फंस गए हैं उन्हें न वेतन मिल रहा है और नहीं वतन वापसी हो पा रही है. गांव वालों की मदद से ही परिवार का गुजर बसर चल रहा है. वहीं उन्होंने इस बात को लेकर चिंता जाहिर कि और बताया की हर बार कोई ना कोई व्यक्ति इस क्षेत्र का विदेश में जाकर फंस जाता है. सरकार को भी कुछ ऐसा नियम बनाना चाहिए जिससे ऐसी नौबत ना आए और रोजगार अपने देश में ही मिल सके.
फंसे मजदूरों में ये हैं शामिल
दक्षिण अफ्रिका में फंसे मजदूरों में गिरिडीह जिले के सरिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत चिचकी के सुकर महतो, डुमरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत अतकी के रमेश महतो, विजय कुमार महतो, दूधपनिया के दौलत कुमार महतो शामिल हैं. हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत अचलजामु के बिसुन जोबार के टेकलाल महतो, खरना के छात्रधारी महतो, भीखन महतो, चानो के चिंतामण महतो शामिल हैं.
बोकारो जिले के पेंक नारायणपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत कडरूखुटा के मोहन महतो, डेगलाल महतो, गोविंद महतो, चुरामन महतो, जगदीश महतो, मुरारी महतो, लखीराम, पुसन महतो, गोनियाटो के कमलेश कुमार महतो, महेश कुमार महतो, दामोदर महतो, मुकुंद कुमार नायक, नारायणपुर परमेश्वर महतो, घवाइया अनु महतो, धनेश्वर महतो, रालीबेडा सितल महतो, कुलदीप हंसदा शामिल हैं.
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