अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : ये हैं सबसे अधिक ताकतवर और प्रभावशाली महिला पॉलिटिशियंस - International womens day 2024
International womens day 2024 : भारतीय राजनीति में इस समय सोनिया गांधी को सबसे अधिक प्रभावशाली महिला पॉलिटिशियंस माना जाता है. वह कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसके अलावा, और कौन सी महिला नेता हैं, जिन्हें सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है, आइए इस पर एक नजर डालते हैं.
नई दिल्ली:भारत की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. आजादी के बाद से ही भारतीय राजनीति में महिलाओं की अहम भूमिका देखी गई है. वर्तमान दौर में भी भारतीय राजनीति में महिलाएं काफी आगे हैं. भारत में समय के साथ महिलाओं की राजनीति में स्थिति पहले की तुलना में कुछ बेहतर हुई है. लेकिन राजनीतिक संस्थानों में उनका प्रतिनिधित्व, चुनावी प्रक्रियाओं में भागीदारी और नीति-निर्माण पर उनका प्रभाव अभी भी उतना नहीं है जितना पुरुषों का है. बीते साल ही केंद्र की सरकार ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को और ज्यादा बढ़ाने और सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नारी शक्ति अधिनियम लेकर आई है.
इससे भारत की राजनीति में महिलाओं की भूमिका और भी ज्यादा बढ़ेगी. पिछले कुछ सालों में भारतीय संसद में महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़ी भी है. बता दें, वर्तमान में महिलाओं के पास लोकसभा में लगभग 14 फीसदी सीटें और राज्यसभा में लगभग 11 फीसदी सीटें हैं. हालांकि, देश में महिलाओं की संख्या को देखते हुए यह संख्या बहुत छोटी है.
8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिवस शिक्षा-प्रशिक्षण, नैकरी, वेतन-मानदेय, पॉलिटिक्स, साइंस सहित अन्य सेक्टरों में महिलाओं की बराबरी के लिए आवाज बुलंद करने का दिन है. आज हम आपको भारतीय राजनीति से जुड़ी ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताएंगे, जिन्होंने राजनीति में एक खास मुकाम हासिल किया है.
भारतीय राजनीति की सशक्त महिलाएं
द्रौपदी मुर्मू : द्रौपदी मुर्मू साल 1997 में अपने राजनीति सफर की शुरूआत की. मुर्मू ने नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत हासिल कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा विधानसभा में दो बार विधायक रह चुकी हैं. साल 2000 में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल सरकार में वो कॉमर्स और परिवहन मंत्री पद पर रहीं. बाद में वे मत्स्य और पशु विभाग की मंत्री बनीं. वहीं, साल 2015 से 2021 तक द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की राज्यपाल का भी कार्यभार उठाया. साल 2022 में द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनीं.
द्रौपदी मुर्मू
सोनिया गांधी: सोनिया गांधी को किसी परिचय की जरूरत नहीं है. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली अध्यक्ष रहीं. जिसने स्वतंत्रता के बाद के अधिकांश इतिहास में भारत पर शासन किया है. उन्होंने अपने पति और भारत के पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या के सात साल बाद 1998 में पार्टी नेता के रूप में पदभार संभाला और 22 साल तक अपनी सेवा करने के बाद साल 2017 तक इस पद पर रहीं.
सोनिया गांधी
निर्मला सीतारमण :निर्मला सीतारमण वर्ष 2008 में भाजपा में शामिल हुईं. वह 2014 तक भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं. साल 2014 में सीतारमण को राज्य मंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया. 30 मई 2019 को निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी. 3 सितंबर 2017 से मई 2019 तक सीतारमण देश की रक्षा मंत्री के पद पर रही हैं. इसके बाद साल 2019 के मई महीने में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें फाइनेंस मिनिस्टर का पद मिला. सीतारमण इंदिरा गांधी के बाद रक्षा मंत्री का पद संभालने वाली देश की दूसरी महिला थीं और पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री थीं.
निर्मला सीतारमण
ममता बनर्जी: पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिन्हें ममता दीदी के नाम से जाना जाता है, उन्होंने राज्य में 34 साल पुरानी वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका. वह देश की पहली महिला रेल मंत्री भी थीं. 11997 में, उन्होंने पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए वामपंथ विरोधी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की.
ममता बनर्जी
स्मृति ईरानी :स्मृति ईरानी की राजनीतिक करियर की शुरूआत साल 2003 में हुई. उन्होंने साल 2003 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और अगले साल, उन्हें महाराष्ट्र यूथ विंग के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. साल 2010 में वो भाजपा की राष्ट्रीय सचिव और पार्टी की महिला विंग की अध्यक्ष बनीं. स्मृति 26 मई 2014 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री बनीं. 5 जुलाई को पीएम मोदी के कैबिनेट फेरबदल में उन्हें कपड़ा मंत्रालय में भेज दिया गया. बता दें, वर्तमान में स्मृति ईरानी अमेठी से सांसद हैं और अब वे देश की कद्दावर महिला नेताओं में से एक मानी जाती है.
स्मृति ईरानी
महबूबा मुफ्ती:जम्मू-कश्मीर की सियासत में बड़ा कद अखित्यार कर चुकीं महबूबा मुफ्ती को कश्मीर की सबसे बड़ी महिला नेता माना जाता हैं. 1996 में कांग्रेस में शामिल हो अपना सियासी सफर शुरू करने वाली महबूबा ने राजनीति का ककहरा पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद से सीखा. उन्होंने पहला चुनाव बिजबेहरा विधानसभा सीट से जीता. कांग्रेस नेताओं से पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के अच्छे संबंधों के चलते महबूबा राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष बन गईं. जिसके बाद को PDP की इस महिला नेता ने राज्य में अपनी पार्टी का विस्तार किया.
महबूबा मुफ्ती
मायावती:वर्तमान समय में मायावती भारत की सबसे ताकतवर दलित नेता हैं. उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं, वह जाटव जाति से हैं, जो अनुसूचित जाति और समुदायों में सबसे ऊपरी पायदान पर है. यूपी के राजनीतिक परिदृश्य पर उनके शक्तिशाली प्रभाव का देश के सभी राजनीतिक नेताओं और आम जनता ने सम्मान किया है
मायावती
सुप्रिया सुले:लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले मराठा नेता शरद पवार की बेटी हैं. वह भारतीय राजनेताओं की नई पीढ़ी का एक प्रमुख हिस्सा हैं. कई लोगों का मानना है कि सुप्रिया राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी प्रमुख के रूप में पवार की जगह लेंगी.
सुप्रिया सुले
हरसिमरत कौर बादल : हरसिमरत कौर बादल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2009 के भारतीय आम चुनावों के साथ की थी. इन चुनावों में हरसिमरत कौर बादल ने शिरोमणि अकाली दल से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में हरसिमरत कौर ने कांग्रेस के उम्मीदवार राहींदर सिंह को भारी मतों से हराया था. जिसके बाद वे भटिंडा विधानसभा क्षेत्र से 15वीं लोकसभा की सदस्य चुनी गई. हरसिमरत कौर बादल 2014 को लोकसभा चुनाव में फिर से भटिंडा सीट पर जीत प्राप्त की और मोदी सरकार के अंतर्गत केंद्रीय खाद्य मंत्री के पद पर नियुक्त हैं.
हरसिमरत कौर बादल
कनिमोझी : तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद कनिमोझी 2007 में अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत की. बता दें, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि और उनकी तीसरी पत्नी रजती अम्माल की बेटी हैं कनिमोझी .वह द्रविण मुन्नेत्र कणगम (DMK) से जुड़ी हैं, और उन्होंने अपने पिता के ‘साहित्यिक विरासत’ को संभाला है.