नई दिल्ली: रूस पर प्रतिबंध के बावजूद भारत मॉस्को से तेल खरीद रहा है, जिस पर रूस-यूक्रेन विवाद छिड़ने के बाद से बहस चल रही है. भारत के रूसी तेल के आयात ने ऊर्जा के स्रोतों में विविधता लाकर आपूर्ति संकट को रोकने में मदद की है. कई आपूर्तिकर्ताओं पर भरोसा करके, भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रहा है. इसके अतिरिक्त, एक प्रमुख वैश्विक उत्पादक रूस से तेल आयात करने से भारत को बातचीत में लाभ मिलता है और बाजार में प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण बनाए रखने में मदद मिलती है.
ईटीवी भारत इस बात की पड़ताल कर रहा है कि भारत का रूसी तेल आयात वैश्विक बाजार को लुब्रिकेट करने में कैसे मदद कर सकता है. एक एक्सपर्ट जेएनयू में मध्य एशियाई विषय पर अध्ययन कर रही और सेंटर फॉर रशियन की अध्यक्ष अर्चना उपाध्याय कहती हैं 'रूसी तेल विकल्प के बिना, मध्य पूर्वी कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें आसमान पर पहुंच जातीं. इससे कोविड के झटके से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रही विकासशील अर्थव्यवस्थाएं नष्ट हो जातीं.'
इस बीच भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी ने दावा किया है कि अमेरिका ने भारत को रूसी तेल खरीदने की इजाजत दे दी है. पिछले सप्ताह वाशिंगटन में काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि 'हमने यह सुनिश्चित करने के लिए खरीदारी की अनुमति दी कि वैश्विक स्तर पर कीमतें न बढ़ें.' उन्होंने कहा कि 'इस व्यवस्था के कारण, वैश्विक तेल की कीमतें नहीं बढ़ीं और भारत ने उस पर काम किया.' पिछले महीने की शुरुआत में दौरे पर आए अमेरिकी ट्रेजरी अधिकारी ने भी कहा था कि अमेरिका ने भारत से रूसी तेल आयात में कटौती करने के लिए नहीं कहा था.
अमेरिका ने ये कहा था :अमेरिकी ट्रेजरी के सहायक सचिव एरिक वान नॉस्ट्रैंड ने कहा था, 'तेल आपूर्ति को विनियमित करना हमारे लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन हम जो करना चाहते हैं वह पुतिन के लाभ को सीमित करना है.' एरिक गार्सेटी के बयान पर टिप्पणी करते हुए, अर्चना उपाध्याय ने कहा, 'क्या भारत ने रूसी तेल न खरीदने के अमेरिकी आदेश को स्वीकार किया होगा? मेरे विचार में नहीं. भारत प्रतिबंध व्यवस्था का हिस्सा नहीं है. यह रूस के साथ जुड़ने के लिए स्वतंत्र है जो उसने किया है और ऐसा करना जारी रखेंगे.'
उन्होंने कहा कि 'अमेरिका के पास अपने राष्ट्रीय हितों के संबंध में भारत की पसंद को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है...इस मामले में यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा है. भारतीय विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत का राष्ट्रीय हित भारत की पसंद को निर्धारित करेगा और रूस के साथ भारत के संबंध बदल गए हैं. यह इसका सबसे स्थिर रिश्ता रहा है - एक ऐसा रिश्ता जिसने भारत के हितों की अच्छी तरह से सेवा की है.'