मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. इस चुनाव में सबकी निगाहें वर्ली विधानसभा क्षेत्र और माहिम निर्वाचन क्षेत्र टिकीं हुई हैं. उद्धव ठाकरे के मौजूदा विधायक बेटे आदित्य ठाकरे फिर से वर्ली से मैदान में उतरे हैं. वहीं दूसरी तरफ माहिम से राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पहली बार विधानसभा के लिए अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं.
वर्ली और माहिम दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे उम्मीदवारों ने एक-दूसरे को चुनौती दी है. हालांकि, पर्दे के पीछे राजनीतिक शतरंज की बिसात पर कुछ और ही चालें चली जा रही हैं. उद्धव ठाकरे के एक करीबी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को जानकारी दी है कि, वर्ली निर्वाचन क्षेत्र से मनसे के संदीप देशपांडे और माहिम निर्वाचन क्षेत्र से महेश सावंत अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए दोनों दलों के वरिष्ठ स्तर पर चर्चा कर रहे हैं.
संदीप देशपांडे और महेश सावंत ने आवेदन वापस लिया
उद्धव और राज ठाकरे भाइयों के बीच अदावत जगजाहिर है. फिर भी, राज ठाकरे ने 2019 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे अपने भतीजे के सामने अपनी पार्टी का उम्मीदवार नहीं देने का साहस दिखाया. जैसे ही 2024 के विधानसभा चुनावों के लिए मनसे की ओर से अमित ठाकरे की उम्मीदवारी की घोषणा की गई, उम्मीद थी कि उद्धव भी 'राज' की राह पर चलेंगे. लेकिन चूंकि राज ने पहले ही वर्ली से संदीप देशपांडे की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी थी, इसलिए उद्धव ने भी माहिम निर्वाचन क्षेत्र से महेश सावंत की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी. लेकिन अब दोनों भाई एक-दूसरे की दिशा में दो कदम आगे बढ़ने की संभावना है.
उद्धव ठाकरे के एक करीबी ने कहा, "सावंत और देशपांडे को वापस लेने के लिए चर्चा चल रही है. महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह चर्चा सकारात्मक मोड़ ले रही है. अगले दो दिनों में तस्वीरें साफ हो जाएंगी."
आपसी संबंध बनाए रखेंगे, विधायक की सीट हासिल करेंगे
शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे ने वर्ली निर्वाचन क्षेत्र से राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा की उम्मीदवारी की घोषणा की है. संदीप देशपांडे और मिलिंद देवड़ा के संयुक्त वोट आदित्य ठाकरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यहां दिलचस्प बात यह है कि, लोकसभा चुनाव 2024 में दक्षिण मुंबई से फिर से जीतने वाले अरविंद सावंत को आदित्य के प्रतिनिधित्व वाले वर्ली विधानसभा क्षेत्र से बहुत कम वोटों की बढ़त मिली. इसलिए इस चुनाव में आदित्य ठाकरे का सिरदर्द बढ़ गया है.
दूसरी ओर, माहिम से मौजूदा शिवसेना विधायक सदा सरवणकर बिना पीछे हटे अमित ठाकरे के लिए विधायक सीट के लिए चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर अड़े हुए हैं. उन्हें मनाने के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के प्रयास विफल हो गए हैं. अगर सरवणकर मैदान में बने रहते हैं, तो अमित ठाकरे की अपने घरेलू मैदान पर आसान जीत मुश्किल हो सकती है. मौजूदा स्थिति में, उद्धव और राज ठाकरे भाइयों के लिए यह राजनीतिक रूप से समझदारी होगी कि वे सावंत और देशपांडे को माहिम और वर्ली सीट से हटा दें.
इससे आदित्य और अमित दोनों के लिए विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचने का रास्ता साफ हो जाएगा. साथ ही, दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे से बेहद प्यार करने वाले मतदाताओं को भी इस बात का संतोष होगा कि ठाकरे भाइयों ने अपने रिश्ते को बरकरार रखा है. इस संबंध में, पर्दे के पीछे की हलचलें तेज हो गई हैं.
उद्धव और राज ठाकरे दोनों को ही जल्द ही अपना फैसला सुनाना होगा, खासकर उद्धव ठाकरे को. क्योंकि अगर सदा सरवणकर ने अपना मन बदल लिया, तो अमित ठाकरे के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी. अगर अमित ठाकरे और महेश सावंत के बीच सीधा मुकाबला होता है, तो अमित ठाकरे का पलड़ा भारी हो सकता है. उद्धव और राज ठाकरे ही दोनों जानते हैं कि, अगर जल्द ही कोई फैसला नहीं लिया गया, तो माहिम और वर्ली निर्वाचन क्षेत्रों में ठाकरे भाइयों के लिए यह एक मुश्किल रात होने वाली है.
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