नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के 3 जून को सेवानिवृत्त होने के बाद, कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने नए एनएसए की तलाश के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है. सरकारी प्रतिष्ठान के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि डोभाल ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शीर्ष पद पर बने रहने की अपनी अनिच्छा पहले ही बता दी है. डोभाल के जाने के बाद, सरकार के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है कि नए एनएसए के रूप में कौन कार्यभार संभालेगा.
सूत्रों के अनुसार, कुछ नामों में खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक और तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, विदेश मंत्री एस जयशंकर और पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी के नाम चर्चा में हैं. 3 जून को, डोभाल ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से जुड़े एनएसए के रूप में अपने 10 साल पूरे किए. अपने कार्यकाल के दौरान, डोभाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था.
NSA की भूमिका
एनएसए हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार की भूमिका निभाता है. एनएसए को भारत के आंतरिक और बाहरी खतरों और अवसरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से प्रधानमंत्री को सलाह देने का काम सौंपा गया है. एनएसए सरकार की ओर से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की देखरेख भी करता है. एनएसए सभी एजेंसियों (रॉ, आईबी, एनटीआरओ, एमआई, डीआईए, एनआईए सहित) से खुफिया जानकारी प्राप्त करता है और उन्हें प्रधानमंत्री के सामने पेश करता है.
पृष्ठभूमि
19 नवंबर, 1998 को पद की स्थापना के बाद से नियुक्त सभी एनएसए या तो भारतीय विदेश सेवा (IFS) या भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से संबंधित हैं, और प्रधानमंत्री के विवेक पर काम करते हैं. ब्रजेश मिश्रा जो संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधान सचिव थे, उन्हें पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था.