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कौन बनेगा झारखंड का अगला मुख्यमंत्री, एक तरफ हेमंत तो दूसरी तरफ कौन!

झारखंड का अगला सीएम कौन होगा, यह एक बड़ा सवाल है. एक तरफ हेमंत सोरेन तो दूसरी ओर भाजपा से कौन होगा?

Who will become next Chief Minister of Jharkhand, know what experts say
ग्राफिक्स इमेज (ETV Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 9 hours ago

Updated : 9 hours ago

रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले एक ही सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. इंडिया ब्लॉक की ओर से कोई डाउट नहीं है. बहुमत मिलने पर हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय है. क्योंकि इंडिया ब्लॉक ने उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव भी लड़ा है.

अब सवाल है कि अगर एनडीए को बहुमत मिलता है तो सीएम कौन बनेगा. इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है. क्या बाबूलाल मरांडी बनेंगे सीएम या नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी. कहीं चंपाई सोरेन की दोबारा ताजपोशी तो नहीं हो जाएगी. कहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा की तरह यहां भी एक्सपेरिमेंट देखने को तो नहीं मिलेगा.

इस सवाल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का मानना है कि अगर एनडीए को बहुमत मिलता है तो बाबूलाल मरांडी से बेहतर विकल्प कोई नजर नहीं आ रहा है. बाबूलाल मरांडी ना सिर्फ वरिष्ठ नेता हैं बल्कि राज्य का प्रथम सीएम होने का अनुभव भी उनके साथ जुड़ा है. पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते संगठन पर उनकी पकड़ भी है. बाबूलाल मरांडी जेवीएम नाम से पार्टी भी चला चुके हैं. भाजपा में वापसी पर उन्हें विधायक दल का नेता भी चुना गया ये अलग बात है कि सदन में उन्हें नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं मिल पाई. बाबूलाल मरांडी एकमात्र ऐसे ट्राइबल नेता हैं जो गैर-आरक्षित सीटों से विधानसभा का चुनाव लड़ते आए हैं.

यह पूछे जाने पर कि भाजपा तो पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और ओडिशा में ट्राइबल समाज से आने वाले विष्णु देव साय और मोहन चरण मांझी को सीएम बना चुकी है. ऐसे में झारखंड में भी ट्राइबल को सीएम बनाना चाहिए या नहीं, इस पर भी पार्टी विचार कर सकती है. इसपर वरिष्ठ पत्रकार आनंद का मानना है कि भाजपा के लिए झारखंड में एक्सपेरिमेंट करना जोखिम भरा हो सकता है. क्योंकि भाजपा को आदिवासियों के बीच खोयी हुई राजनीतिक जमीन को वापस हासिल करना है.

भाजपा से सीएम की दौड़ में नेता (ETV Bharat)

नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी के सीएम बनने की संभावना पर वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि झारखंड में दलित वोट पहले से ही भाजपा से अटैच है. ऐसे में रही बात चंपाई सोरेन की तो उनको भाजपा में आए ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. यह भी देखना होगा कि चंपाई सोरेन से पार्टी को कितना लाभ मिला है.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी का मानना है कि बहुमत मिलने पर भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी से मुफीद कोई चेहरा नहीं है. उनके प्रोफाइल को लेकर कोई संकट नहीं है. अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में उन्होंने राजनीतिक पहचान कायम की थी और रही बात चंपाई सोरेन की तो उन्हें एक्सिडेंटल सीएम ही कहा जाएगा. अर्जुन मुंडा की बात करें तो वे खुद राज्य की राजनीति से किनारा कर चुके हैं. अमर बाउरी को लेकर भी चर्चा हो रही है लेकिन ऐसा नहीं लगता कि भाजपा उनको इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे देगी. क्योंकि पूरे चुनाव के दौरान भाजपा रोटी, बेटी और माटी का मुद्दा उठाती रही है. ऊपर से राज्य में महज 12 प्रतिशत ही दलित वोटर हैं.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक डॉ. अरुण उरांव डार्क हॉर्स साबित हो सकते हैं. अगर चंपाई सोरेन और बाबूलाल मरांडी के बीच सीएम पद को लेकर मतभेद उभरता है तो डॉ. अरुण उरांव विकल्प हो सकते हैं, उनके साथ कई प्लस प्वाइंट है, आईपीएस रहे हैं, प्रशासनिक अनुभव है. उनके पिता स्व. बंदी उरांव एकीकृत बिहार में जाने-माने आदिवासी नेता थे. उनके ससुर स्व. कार्तिक उरांव रहे हैं. जयपाल सिंह मुंडा के बाद झारखंड में सबसे बड़ा आदिवासी नेता और स्कॉलर कोई हुआ है तो वो कार्तिक उरांव ही हैं. इसलिए एक्सपेरिमेंट की नौबत आने पर डॉ. अरुण उरांव को भाजपा आगे कर सकती है.

हेमंत सोरेन के लिए रिकॉर्ड बनाने का मौका

हेमंत सोरेन की राजनीति के लिहाज से इसबार का चुनाव बेहद खास है. क्योंकि इंडिया ब्लॉक को बहुमत मिलता है तो हेमंत सोरेन के नाम एक नया रिकॉर्ड जुड़ जाएगा. क्योंकि हेमंत सोरेन चौथी बार सीएम बनने वाले पहले लीडर बन जाएंगे. अबतक उनके पिता सह झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और भाजपा नेता अर्जुन मुंडा थोड़े-थोड़े समय के लिए तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस लिस्ट में हेमंत सोरेन का नाम तब जुड़ गया था, जब जेल से बाहर आने पर उन्होंने चंपाई सोरेन को हटाकर तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी.

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