नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें सड़क दुर्घटना के पीड़ित को मुआवजा देने के लिए उसकी उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड को स्वीकार किया गया था.
जस्टिस संजय करोल और उज्जल भुइयां की बैंच ने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 94 के तहत मृतक की उम्र स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में दी गई जन्म तिथि से निर्धारित की जानी चाहिए.
पीठ ने कहा, "हमने पाया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 20 दिसंबर, 2018 को जारी कार्यालय ज्ञापन के संदर्भ में कहा है कि आधार कार्ड का उपयोग पहचान स्थापित करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है.
बता दें कि सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है. आधार नंबर सिटिजनशिप या जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है. इतना ही नहीं नए आधार कार्ड के PDF वर्जन में अब एक और स्पष्ट और प्रमुख अस्वीकृति शामिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि यह 'पहचान का प्रमाण हैं, नागरिकता या जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है.'
उल्लेखनीय है कि आधार कभी भी नागरिकता का प्रमाण नहीं रहा है. लेकिन विभिन्न सरकारी विभाग इसे नागरिकों या वयस्कों के लिए आरक्षित उद्देश्यों के लिए स्वीकार करते हैं. इस बीच सवाल यह है कि अघर आधार पहचान और जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है तो फिर इसका काम का किया है.
सब्सिडी के लिए जरूरी है आधार
सरकार ने अलग-अलग योजनाओं के तहत सब्सिडी का फायदा लेने के लिए आधार के साथ अपने बैंक अकाउंट लिंक होना अनिवार्य है. इसके अलावा, अटल पेंशन योजना, केरोसिन सब्सिडी, स्कूल सब्सिडी, फूड सब्सिडी जैसी और योजनाओं के तहत सीधे बैंक खाते में सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आधार की जरूरत होती है.