नई दिल्ली:हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में गुरुवार सुबह बादल फटने से दो लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग लापता हैं. बादल फटने से तीनों जिलों में भारी तबाही हुई है. कई घर, स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. फिलहाल राहत और बचाव कार्य जारी है. इस बीच अधिकारियों ने कुल्लू और मंडी में सभी स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है.
वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीसी और अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. हमने अधिकारियों को सभी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. हमने सेना से भी मदद मांगी है. साथ ही वायुसेना को तैयार रहने को भी कहा गया है.
क्या है क्लाउडबर्स्ट?
बादल फटना, बहुत भारी वर्षा के रूप में डिफाइन किया जा सकता है, जो थोड़े समय के लिए होती है. आमतौर पर बादल फटने की घटना पहाड़ी क्षेत्रों में होती है, लेकिन कई बार यह मैदानी इलाकों में भी हो सकती है. बादल फटने की घटनाएं अक्सर हिमालय या पश्चिमी घाट के पहाड़ी इलाकों में होती है. यह तब होता है जब गर्म मानसूनी हवाएं ठंडी हवाओं के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर बादलों का निर्माण करती हैं.
भारी बारिश के सभी मामलों को बादल फटना नहीं कहा जा सकता है, लेकिन अगर कहीं 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक घंटे में 10 सेमी या उससे अधिक बारिश होती है तो उसे बादल फटना कहा जा सकता है.
क्यों फटते हैं बादल?
बादल फटने की घटनाएं अक्सर तेज गरज के साथ होने वाले बारिश के दौरान होती हैं. इस स्थिति में नमी वाले बादल बड़ी मात्रा में एक जगह पर इकट्ठा होते हैं और पानी की बूंदें एक साथ मिल जाती हैं. इन बूंदों का भार ज्यादा होने के कारण से बादल की डेंसिटी बढ़ जाती है और अचानक तेज बारिश होने लगती है. ऐसे में जब गर्म हवा की धाराएं बारिश की बूंदों के साथ मिलकर सामान्य बहाव में बाधा पैदा करती हैं, जिससे पानी जमा हो जाता है और बादल फट जाता है.