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सीएम हेमंत सोरेन की जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर टिकी सबकी निगाहें, ईडी ने की है हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करने की अपील - Hemant Soren bail

Appeal in Supreme Court on CM Hemant Soren bail. सीएम हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ ईडी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी है. इसको लेकर पूरी झारखंड की निगाहें उच्चतम न्यायालय पर टिकी हुई हैं. ऐसे में इस मसले को लेकर जानकार क्या कहते हैं, जानें ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

What experts say on ED appeal in Supreme Court on CM Hemant Soren bail
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 9, 2024, 8:56 PM IST

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ अब ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अब पूरे झारखंड की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं. इसको लेकर कानून के जानकार बताते हैं कि ईडी का सुप्रीम कोर्ट जाना एक नैचुरल प्रक्रिया है.

28 जून को मिली थी जमानत

ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ अपील दायर की है. सुप्रीम कोर्ट में क्या होगा, इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन कानून के जानकार बताते हैं कि यह एक बहुत ही स्वाभाविक कानूनी प्रक्रिया है. झारखंड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता धीरज कुमार के अनुसार चुंकि पूरे मामले की जांच ईडी के द्वारा की जा रही है. ऐसे में ईडी सीएम हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट हर हाल में जाती ही. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में क्या होगा, इस पर टिप्पणी करना कहीं से भी उचित नहीं है. बता दें कि रांची जमीन घोटाला मामले में बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन से जुड़े मामले में हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट ने 28 जून को जमानत दी थी.

तो सीएम भी जाते सुप्रीम कोर्ट- अधिवक्ता धीरज कुमार

झारखंड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता धीरज कुमार के अनुसार अगर झारखंड हाई कोर्ट से सीएम हेमंत सोरेन का बेल रिजेक्ट हो जाता. ऐसे में वे भी सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र थे और निश्चित ही जाते. ऐसे में यह एक बहुत ही नेचुरल प्रक्रिया है. हर व्यक्ति को अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए.

31 जनवरी को हुई थी गिरफ्तारी

ईडी ने जमीन घोटाला मामले में 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था. 28 जून को हाई कोर्ट ने हेमंत को जमानत दे दी थी. अब ईडी ने जांच में आए तथ्यों के आधार पर हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करने की अपील की है. हेमंत सोरेन के खिलाफ जमीन घोटाले के केस में ईडी 30 मार्च को चार्जशीट कर चुकी है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा था कि जांच में एजेंसी कोई साक्ष्य नहीं जुटा पायी है.

हेमंत सोरेन को झारखंड हाई कोर्ट से मिली है जमानत

सोमवार को ईडी ने मनी लाउंड्रिंग मामले में झारखंड हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. 28 जून को झारखंड हाई कोर्ट से हेमंत सोरेन को जमानत मिली थी. 28 को ही हेमंत सोरेन जेल से बाहर निकले और फिर से झारखंड के सीएम बने. सोमवार को ही हेमंत सोरेन सरकार ने सदन में विश्वास मत हासिल किया और अपने कैबिनेट के विस्तार भी किया था.

कब शुरू हुई ईडी की कार्रवाई

लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी ने 8 अगस्त को पहला समन भेजकर 14 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया था. दूसरा समन 19 अगस्त को भेजकर 24 अगस्त को बुलाया गया था. तीसरा समन 1 सितंबर को जारी कर 9 सितंबर को बुलाया गया था. 17 सितंबर को चौथा समन भेजकर 23 सितंबर को आने को कहा गया था. ईडी ने 26 सितंबर को पांचवा समन जारी कर 4 अक्टूबर को हाजिर होने को कहा था. छठा समन भेजकर 12 दिसंबर को हाजिर होने को कहा गया था. सांतवा समन भेजकर ईडी ने हेमंत सोरेन को खुद समय और जगह तय करने को कहा था. 13 जनवरी को 8वां समन कर 16 से 20 जनवरी के बीच बयान दर्ज कराने का समय दिया गया था.

8वें समन पर हेमंत ने दिया समय

ईडी की ओर से आठवां समन मिलने के बाद हेमंत सोरेन ने अपने सरकारी आवास पर पूछताछ की सहमति दी थी. उस दिन ईडी की टीम ने दिनभर उनसे पूछताछ की थी. उस दौरान तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन के आवास के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी. उनके आवास के आसपास बड़ी संख्या में उनके समर्थक जुटे थे.

इस पूछताछ के बाद ईडी ने 9वां समन 25 जनवरी को भेजकर 27 से 31 जनवरी के बीच पूछताछ के लिए समय मांगा. इसके जवाब में हेमंत सोरेन ने व्यस्तता का हवाला दिया. लेकिन अगले ही दिन 27 जनवरी को 10वां समन जारी कर ईडी ने 29 से 31 जनवरी के बीच समय देने को कहा. तब ईडी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि 28 जनवरी तक आपको जवाब देना है.

10वें समन के बाद खुला दिल्ली चैप्टर

ईडी ने 10वें समन में स्पष्ट कर दिया था कि हेमंत सोरेन को 28 जनवरी तक अपना पक्ष बता देना है कि वह किस दिन पूछताछ के लिए समय देंगे. इसी बीच 27 जनवरी की शाम हेमंत सोरेन विशेष विमान से दिल्ली रवाना हो गये. इसी बीच 29 जनवरी को दिल्ली स्थित तत्कालीन सीएम हेमंत के आवास पर ईडी की टीम पहुंच गई. तब हेमंत सोरेन वहां नहीं मिले. ईडी की टीम को उनके आवास से 36 लाख रु. एसयूवी कार और कई दस्तावेज मिले. वह सस्पेंस का दौर था. क्योंकि कोई नहीं बता पा रहा था कि आखिर झारखंड के मुख्यमंत्री हैं कहां. उसी दिन सीएमओ से ईडी को ईमेल भेजकर पूछताछ के लिए 31 जनवरी को सीएम आवास आने को कहा गया.

30 दिसंबर को रांची आवास में दिखे हेमंत

कयासों का दौर चला कि आखिर झारखंड के सीएम हैं कहां. इसी बीच अगले दिन यानी 30 जनवरी को हेमंत सोरेन की रांची आवास पर विधायकों के साथ बैठक वाली तस्वीर जारी हुई. हालांकि आजतक किसी ने नहीं बताया कि विशेष विमान से 27 जनवरी को दिल्ली गये हेमंत सोरेन 30 जनवरी को अचानक किस माध्यम से रांची पहुंचे. यह पूछे जाने पर कि आप कहां थे तो इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मैं आपके दिलों में रहता हूं. इस दौरान सीएम आवास पर सत्ताधारी दल के विधायकों और मंत्रियों का लगातार बैठकें चलती रही. सीएम रहते हेमंत सोरेन के गायब होने के मसले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से संज्ञान लेने की मांग की. हालांकि झामुमो नेता जवाब देते रहे कि हेमंत सोरेन संपर्क में हैं और जल्द रांची आ रहे हैं.

31 जनवरी को ईडी की गिरफ्त में हेमंत सोरेन

झारखंड का राजनीति में यह दिन टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. 31 जनवरी को ईडी की टीम सीएम आवास पहुंची और दिनभर पूछताछ करती रही. शाम के बाद उन्हें हिरासत में लेने की सूचना दे दी गई. इसके बाद हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे और सीएम पद से अपना इस्तीफा दे दिया. गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम राजभवन ने पिछले दरवाजे से रीजनल ऑफिस लेकर चली गई. तब झामुमो ने आरोप लगाया कि सीएम को राजभवन के भीतर गिरफ्तार किया गया है. हालांकि बाद में राज्यपाल ने इसका खंडन किया.

जब हेमंत ने खेला ट्राइबल कार्ड

एक तरफ ईडी की टीम हेमंत सोरेन से उनके आवास पर पूछताछ कर रही थी तो दूसरी तरफ हेमंत ने ईडी अफसरों के खिलाफ ट्राइबल कार्ड खेला. उन्होंने एसटी-एसी थाना में यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई कि आदिवासी समुदाय से होने की वजह से उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई है. उन्होंने अपनी गैरमौजूदगी में दिल्ली आवास पर हुई छापेमारी पर सवाल उठाया. उनके आवेदन के आधार पर एसटी-एससी थाना में कांड संख्या 06/2024 दर्ज कर लिया गया. इस मामले में ईडी अफसरों को पूछताछ के लिए थाना बुलाए जाने के खिलाफ ईडी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.

सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

31 जनवरी को गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन की ओर से कानूनी लड़ाई शुरू हुई. उन्होंने गिरफ्तारी को हाई कोर्ट में चुनौती दी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया. लेकिन 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले आप हाई कोर्ट जाएं. हेमंत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की थी.

15 अप्रैल को विशेष अदालत में जमानत याचिका दायर

शीर्ष अदालत से राहत नहीं मिलने पर हेमंत सोरेन की ओर से रांची के पीएमएलए कोर्ट में 15 अप्रैल को जमानत याचिका दायर की गई. अलग-अलग तारीखों में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 4 मई की ईडी की विशेष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 13 मई को पीएमएलए कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी. इसके बाद उन्हें हाई कोर्ट से झटका लगा. इसके बाद उन्होंने गिरफ्तारी को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन मई को हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली हेमंत को राहत

पीएमएलए कोर्ट से जमानत खारिज होने पर अंतरिम जमानत के लिए हेमंत सोरेन के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अंतरिम जमानत की मांग की. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष के नेता लोकसभा चुनाव में प्रचार की जरूरत का हवाला दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.

हाई कोर्ट में दायर की जमानत याचिका

सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिलने पर हेमंत सोरेन ने 27 मई को झारखंड हाई कोर्ट में नियमित जमानत याचिका दायर की. इसके बाद अलग-अलग तारीख में हुई सुनवाई के बाद 13 जून को जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 28 जून को झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को नियमित जमानत दे दी.

ईडी दायर कर चुकी है चार्जशीट

प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन, आर्किटेक्ट विनोद सिंह, बड़गाईं अंचल के राजस्व कर्मी भानु प्रताप प्रसाद, जमीन कब्जे में शामिल हिलेरियस कच्छप और संबंधित जमीन के कागजी तौर पर मालिक रामकुमार पाहन के खिलाफ 30 मार्च को रांची की पीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. ईडी ने दावा किया है कि सीएमओ के कहने पर राजस्व कर्मी भानु प्रताप प्रसाद ने बड़गाई अंचल की 8.86 एकड़ जमीन का ब्यौरा तैयार किया था. ईडी ने कागजात में की गई हेराफेरी और मोबाइल से मिले ब्योरा को सबूत के रूप में पेश किया है. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि कैसे राजकुमार पाहन ने संबंधित जमीन पर दावा पेश किया और चंद दिन के भीतर उसको जमीन का मालिक बना दिया गया.

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