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बंगाल विधानसभा स्पीकर ने बुलाया विशेष सत्र, कहा- सबकुछ गवर्नर के हाथ में नहीं - West Bengal

Biman Banerjee: पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने विशेष सत्र बुलाने का आह्वान किया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि सदन का कामकाज राज्यपाल पर निर्भर नहीं है.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 4, 2024, 6:39 PM IST

Biman Banerjee
बिमान बनर्जी (ANI)

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (TMC) के दो नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच स्पीकर बिमान बनर्जी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सदन का कामकाज पूरी तरह राज्यपाल पर निर्भर नहीं है. विशेष सत्र शुक्रवार को दोपहर 2 बजे शुरू होगा, जिसका कार्यकाल उसी दिन दोपहर 12 बजे होने वाली बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में तय किया जाएगा.

बनर्जी ने मीडिया से बात करते हुए विधानसभा की स्वायत्तता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "अगर कोई सोचता है कि हम असहाय हैं, तो वह गलत है. विधानसभा असहाय नहीं है, और सब कुछ राज्यपाल के हाथ में नहीं है. आप हर चीज को हम पर जबरन थोप नहीं सकते. हम सभी को नियम, कानून और संवैधानिक के स्टैंडर्ड कापालन करना होगा."

पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में धरना दे रहे तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों की मांग है कि राज्यपाल सी वी आनंद बोस उन्हें राजभवन के बजाय सदन में शपथ दिलाएं.

27 जून से धरना दे रहे विधायक
बारानगर विधायक सायंतिका बंद्योपाध्याय और भागबंगोला विधायक रयात हुसैन सरकार 27 जून से धरना दे रहे हैं. लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हुए विधानसभा उपचुनावों में विजेता घोषित होने के बावजूद बंद्योपाध्याय और सरकार लंबित शपथ ग्रहण प्रक्रिया के कारण अभी तक निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में अपनी भूमिका नहीं निभा सके हैं.

स्पीकर ने राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग
इससे पहले स्पीकर ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप करने की मांग की थी और राज्यपाल पर इसे अहंकार की लड़ाई में बदलने का आरोप लगाया था. बनर्जी ने कहा, "राज्यपाल जानबूझकर गतिरोध पैदा कर रहे हैं. उन्होंने इसे अहंकार की लड़ाई में बदल दिया है. इस मामले को सुलझाया जाना चाहिए ताकि विधायक शपथ ले सकें."

उधर बंद्योपाध्याय और सरकार विधानसभा परिसर में बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के पास धरने पर बैठे हैं. गौरतलब है कि उपचुनाव के दौरान दोनों विधायक चुने गए थे, लेकिन प्रक्रियागत मानदंडों का हवाला देते हुए पिछले बुधवार को राजभवन में शपथ लेने के राज्यपाल के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया. उनका तर्क है कि राज्यपाल द्वारा उपचुनाव विजेताओं को शपथ दिलाने के लिए सदन के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को नियुक्त करना पारंपरिक है.

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