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बुल्डोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- दोषी हैं तो भी ना गिराया जाए घर, जल्द तैयार होंगे दिशा-निर्देश - SC criticizes bulldozer justice - SC CRITICIZES BULLDOZER JUSTICE

SC Questions Legality Bulldozer Justice: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपराधियों के मकान बुल्डोजर से गिराने से जुड़े मामले की सुनवाई की. इस दौरान शीर्ष अदालत ने बुल्डोजर कार्रवाई पर नाराजगी जताई और कहा कि ऐसे कैसे किसी का घर गिराया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर दिशानिर्देश तैयार करने का प्रस्ताव रखा.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट में बुल्डोजर कार्रवाई पर सुनवाई (प्रतीकात्मक फोटो) (IANS)

By Sumit Saxena

Published : Sep 2, 2024, 2:13 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 'बुलडोजर न्याय' की आलोचना की और कहा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले में दिशा-निर्देश तैयार करेगा. शीर्ष अदालत ने सवाल उठाया कि किसी घर को सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह किसी आपराधिक मामले में आरोपी का है.

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि एक पिता का बेटा अड़ियल हो सकता है, लेकिन यदि इस आधार पर उसका मकान गिरा दिया जाता है कि यह उचित तरीका नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अचल संपत्तियों को केवल प्रक्रिया के आधार पर ही ध्वस्त किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट उन शिकायतों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था जिनमें कहा गया था कि कुछ अपराधों के आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर कुछ दिशानिर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करता है ताकि अदालत के समक्ष उठाए गए मुद्दों के संबंध में चिंताओं का समाधान किया जा सके और मामले से जुड़े पक्षों से अपने सुझाव देने को कहा.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी अचल संपत्ति को सिर्फ इसलिए ध्वस्त नहीं किया जा सकता क्योंकि आरोपी किसी आपराधिक अपराध में शामिल है और मकान को केवल तभी ढहाया जाता है जब अवैध हो. उदाहरण के लिए फुटपाथ पर अवैध रूप से निर्माण किया गया है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि किसी व्यक्ति के आरोपी या दोषी होने पर ही उसकी संपत्ति को कैसे ध्वस्त किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि किसी आरोपी या दोषी की संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता. साथ ही कहा कि ऐसे मामले में सही प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. तुषार मेहता ने कहा कि कार्रवाई तभी की जाती है जब नगरपालिका संबंधी कानूनों का उल्लंघन होता है.

न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पूछा कि डेमोलिशन के ऐसे मामलों से बचने के लिए निर्देश क्यों नहीं दिए जा सकते और सुझाव दिया कि पहले नोटिस जारी किया जा सकता है. फिर जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जा सकता है और कानूनी उपाय तलाशने के लिए भी कुछ समय दिया जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह अवैध ढांचों का बचाव नहीं कर रहा है और इस मुद्दे को हल करने के लिए देश भर में डेमोलिशन के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करने को लेकर प्रस्ताव रखा. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की है.

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