उज्जैन।मोक्षदायिनी शिप्रा नदी को संवारने के लिए राज्य सरकार करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है. नदी के शुद्धिकरण के लिए प्रोजेक्ट बनाए गए लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. शिप्रा में गंदे नालों का पानी आकर मिलता है. देशभर से बाबा महाकाल के दर्शन को आने वाले श्रद्धालु शिप्रा में स्नान करने आते हैं लेकिन नदी का पानी इतना प्रदूषित रहता है कि लोग नाक-मुंह सिकोड़कर किसी प्रकार स्नान की औपचारिकता करते हैं. सोमवार रात फिर सीवरेज लाइन फूटी और सारी गंदगी शिप्रा में मिल गई. यहां तक कि घाटों पर भी चारों ओर गंदगी फैल गई.
सीवरेज लाइन का गंदा पानी शिप्रा में मिला
सीवरेज लाइन का हजारों गैलन गंदा पानी शिप्रा में मिल गया. शिप्रा की बदहाली को लेकर उज्जैन लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार आक्रामक हो गए. उन्होंने मंगलवार को शिप्रा नदी में गंदे नाले के पानी में डुबकी लगाई. महेश परमार ने जिला प्रशासन के साथ नगर निगम प्रशासन पर आरोपों की बौछार की. महेश परमार ने कहा "उज्जैन कलेक्टर इस पानी को शुद्ध बता रहे हैं. कलेक्टर बीजेपी के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं. इनकी शिकायत चुनाव आयोग में की जाएगी. 20 साल से ज्यादा समय से प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. लेकिन मां शिप्रा की साफ नहीं किया जा सका."
शिप्रा की शुद्धिकरण के नाम पर बेतहाशा भ्रष्टाचार
कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा "नगर निगम में बीजेपी की सरकार है. सांसद बीजेपी का है. अब तो मुख्यमंत्री भी यहां से हैं. इतने सालों में शिप्रा एक भी बार शुद्ध नहीं हो पाई. करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा बीजेपी सरकार करती है. लेकिन शिप्रा बदहाली पर आंसू बहा रही है. शिप्रा की शुद्धिकरण के नाम पर बेतहाशा भ्रष्टाचार हुआ है. आज तक शिप्रा को गंदे नालों से मोक्ष नहीं मिल पा रहा है. शिप्रा में गंदे नाले मिलने से श्रद्धालु स्नान करने से कतरा रहे हैं, क्योंकि यहां बदबू आने लगी है."