वायनाड: केरल के वायनाड जिले में एक आदिवासी व्यक्ति को कार से करीब आधा किलोमीटर दूर तक घसीटे जाने का मामला सामने आया है. घायल को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इस बारे में पुलिस ने सोमवार को बताया कि एक आदिवासी व्यक्ति का अंगूठा कार के दरवाजे में फंस जाने के बाद कार सवार लोगों ने कार को नहीं रोका. बल्कि आदिवासी व्यक्ति को आधा किलोमीटर तक सड़क पर घसीटते हुए ले गए.
घटना 15 दिसंबर की शाम को मनंतवाडी़ के कूडल कदावु में एक चेक डैम के पास घटी. वहीं मंगलवार को इसकी फुटेड टेलीविजन चैनलों पर दिखाया गया है.
पुलिस के मुताबिक चेम्माडू बस्ती निवासी मथन को कार में सवार लोगों द्वारा सड़क पर घसीटे जाने की वजह से उसके हाथ, कूल्हे और पैर में चोटें आई हैं. संदेह है कि कार सवार लोग चेक डैम देखने के लिए यहां आए पर्यटक थे.
मामले में वायनाड के कनियामबट्टा निवासी हर्षिद और उसके दोस्त आरोपी हैं. आरोपियों द्वारा पीड़ित को जिस कार से घसीटा गया उसका रजिस्ट्रेशन नंबर केएल 52 एच 8733 था. कार कुट्टीपुरम निवासी मुहम्मद रियास नामक व्यक्ति के नाम पर रिजस्टर्ड है. पुलिस ने कार को बरामद कर लेने के साथ ही जब्त कर लिया है.
कार में चार लोग सवार थे. इस संबंध में मनंतवाडी पुलिस ने बीएनएस की धारा 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविवार को इलाके में घूमने आए पर्यटकों के दो गुटों के बीच कुछ बहस हो गई. इसी दौरान मथन सहित स्थानीय लोगों ने मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, इस पर उसे क्रूरता का शिकार होना पड़ा.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि 49 वर्षीय आदिवासी व्यक्ति का अंगूठा कार के दरवाजे में फंस गया. वहीं कार में बैठे लोगों से गाड़ी को बार-बार रोकने के लिए कहे जाने के बाद भी करीब आधा किलोमीटर तक उसे सड़क पर घसीटते हुए ले गए. हालांकि कार में सवार चार लोग भागने में सफल हुए थे. वहीं घायल मथन को निकट के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इस बीच, राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग मंत्री ओआर केलू ने सोमवार को घटना की कड़ी निंदा की और जिला पुलिस प्रमुख को दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासी युवकों पर हमले को बहुत गंभीर मान रही है तथा दोषियों का पता लगाने तथा उन्हें सजा दिलाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं. उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को घायल आदिवासी व्यक्ति को सभी प्रकार का विशेषज्ञ उपचार एवं देखभाल उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया.
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