नई दिल्ली: भारतीय रेलवे में रेल इंजनों में शौचालय की सुविधा का अभाव महिला और पुरुष लोको पायलटों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि 10,000 से अधिक इंजनों में से केवल 883 इंजनों में ही यह सुविधा है.
इस स्थिति पर निराशा और नाराजगी व्यक्त करते हुए सहायक लोको पायलट आशिमा ने ईटीवी भारत से कहा, 'एक महिला होने के नाते हमें 'नेचर कॉल' के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ स्थान की आवश्यकता होती है, लेकिन ड्यूटी के समय हमें इसके लिए समय और स्थान नहीं मिलता है. ये मेरे जैसे महिला लोको पायलटों के लिए बहुत दयनीय स्थिति है.
अपनी दुर्दशा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमें शुरुआती स्टेशन से लास्ट तक यात्रा करनी पड़ती है. इसमें कम से कम 8-10 घंटे लगते हैं, इस अवधि के दौरान लोको पायलटों को अगला स्टेशन आने या लोको रनिंग रूम आने तक अपने शौच व अन्य दबाव को नियंत्रित करना पड़ता है. इससे ड्राइवरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य पर.
महिला लोको पायलटों ने हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी शिकायतों के बारे में पत्र लिखा और महिला लोको रनिंग स्टाफ को आवश्यक सुविधाएं या एक बार कैडर परिवर्तन का विकल्प प्रदान करने का अनुरोध किया. पत्र में लिखा है, 'अनिर्धारित और रात्रि ड्यूटी के कारण हम हमेशा अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं क्योंकि हमें लोकोमोटिव में शौचालय की सुविधा नहीं मिलती है. इसके कारण हम अपना पेशाब लंबे समय तक रोके रखते हैं. हमेशा तनाव की स्थिति में रहते हैं. मासिक धर्म के दौरान स्थिति और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि महिला ड्राइवर सैनिटरी पैड नहीं बदल पाती हैं और कई बार शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है.'
इस मुद्दे पर बात करते हुए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष राम शरण ने ईटीवी भारत से कहा, 'कुछ साल पहले एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने निर्देश दिया था कि इंजन ड्यूटी पर तैनात लोको पायलट 'नेचर कॉल' के लिए सिर्फ क्रू लॉबी में ही जाएंगे. अगर क्रू लॉबी नहीं है तो वे स्टेशन मास्टर के दफ्तर में ही जाएंगे.