तेजपुर: हर कोई प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक इमारतों और सांस्कृतिक संसाधनों से भरी जगहों की यात्रा करना चाहता है. यात्रा करना हमेशा एक आनंददायक अनुभव होता है और इससे अलग-अलग जगहों के इतिहास, संस्कृति, रीति-रिवाजों और लोककथाओं के बारे में जानकारी मिलती है.
अगर बात करें भारत की तो यह अनूठे पर्यटन स्थलों से भरा हुआ है. यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, इसके विपरीत सात राज्यों वाला पूर्वोत्तर भारत कई पर्यटकों के लिए अछूता रहा है. हालांकि, कुछ साल से यह परिदृश्य बदल रहा है और लोग यहां पर्यटन के लिए आने लगे हैं.
पिछले कुल वर्षों में शिलांग, चेरापूंजी, मेघालय के मावलिननॉन्ग, तवानानाग और मेचुका अरुणाचल प्रदेश की टूरिस्ट डेसिटिनेशन बनकर उभरी हैं. वहीं, नागालैंड-मणिपुर सीमा साझा करने वाली दज़ुकोऊ घाटी में भी बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं.
पूर्वोत्तर का एंट्री गेट असम
पिछले कुछ साल में असम के पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला है. खासकर महामारी काल के बाद. यहां काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान, डिब्रू सैखोवा अभ्यारण्य, सुरम्य दिमा हसाओ के वन्यजीव स्थलों के अलावा प्रतिष्ठित कामाख्या मंदिर, ऊपरी असम में स्थित अहोम साम्राज्य काल के ऐतिहासिक स्मारकों का अनुभव करने के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखी गई है. इसके अलावा असम में कई और पर्यटक स्थल हैं, जो देशभर के लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. इनमें सोनितपुर और विश्वनाथ शामिल हैं.
तेजपुर में कहां घूमें?
अगर आप सोनितपुर जिले के मुख्यालय तेजपुर घूमने आते हैं, तो आप किन स्थानों पर जाएंगे? शायद आप अग्निगढ़ और चित्रलेखा पार्क देखने के बारे में सोचेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि ये दोनों जगहें पर्यटकों के लिए जानी जाती हैं. ये दोनों स्थान निश्चित रूप से तेजपुर शहर के आकर्षण हैं और पर्यटक आकर्षण माने जाते हैं. हालांकि, तेजपुर में और भी कई जगहें हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र मानी जाती हैं.
चित्रलेखा उद्यान या कोल पार्क
चित्रलेखा उद्यान तेजपुर शहर के मध्य में स्थित है, इस पार्क को 'कोल पार्क' के नाम से भी जाना जाता है. कोल पार्क का नाम उस ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर रखा गया था जिसने इस पार्क का निर्माण कराया था. इस पार्क का निर्माण 1906 में असम के एक ब्रिटिश आयुक्त श्री कोल द्वारा किया गया था, और बाद में 1996 में तेजपुर के तत्कालीन आयुक्त एमजीवीके भानु द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया था. बाद में पार्क का नाम बदलकर चित्रलेखा उद्यान कर दिया गया, जो पौराणिक चरित्र चित्रलेखा की याद दिलाता है. चित्रलेखा शोणितपुर के राजा बाणासुर की पुत्री उषा की पत्नी थी.
अग्निगढ़
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अग्निगढ़ का निर्माण बाणासुर राजा ने किया था जो भगवान शिव का भक्त था. यहीं पर राजा बाण ने अपनी बेटी उषा को कैद कर लिया था, जिसे प्रद्युम्न और रुक्मवती के पुत्र और कृष्ण और रुक्मिणी के पोते अनिरुद्ध से प्यार हो गया था. पुराणों में राजा बाण द्वारा अनिरुद्ध के अपहरण और उसके बाद हरि (विष्णु) और हर (महादेव) के बीच युद्ध के बारे में कई कहानियां हैं. ये कहानियां अग्निगढ़ में चट्टान की मूर्तियों में परिलक्षित होती हैं. इन्हें देखने के लिए प्रतिदिन पर्यटक आते हैं.