रायपुर :छत्तीसगढ़ की धरती से कोसों दूर लॉरेंस बिश्नोई जेल में अपनी सजा काट रहा है.लेकिन जेल में सजा काटते-कटाते ये क्रिमिनल करोड़ों का आसामी भी बन चुका है.मर्डर,फिरोती और कब्जा करने से लेकर हर वो काम जिससे पैसे कमाए जा सकते हैं वो लॉरेंस करता है.इन सभी चीजों को करने के लिए लॉरेंस ने जेल से ही अपना नेटवर्क बनाया है.बंदे जेल से छूटते हैं और लॉरेंस के लिए काम करते हैं. कब,कहां कैसे और किस तरह से लेन देन और हत्या को अंजाम देना है इसके लिए लॉरेंस अपने सबसे वफादार नाम मयंक सिंह का इस्तेमाल करता है.मयंक कौन है,क्या करता है,दिखता कैसा है ये किसी फिल्मी कहानी की तरह है.
प्रोजेक्टर कई लेकिन नाम एक :लॉरेंस के प्रोजक्ट में प्लान बदलते हैं,किरदार बदलते हैं लेकिन हर किरदार अपना नाम मयंक ही रखता है.अब अपने गुर्गों को पालना है तो पैसा चाहिए.लॉरेंस बिश्नोई तो कोई धन्ना सेठ नहीं जो सबके खर्चे उठाए,लिहाजा लॉरेंस बिश्नोई ने धन्ना सेठों को ही अपना टारगेट बना लिया है. बात इतनी सी है कि लॉरेंस बिश्नोई को काम अपना गैंग चलना है.और इसके लिए पैसा कमाने का आसान तरीका है डर.लोग मौत के डर से लॉरेंस बिश्नोई को पैसा देते हैं और वो अपने मंसूबों में कामयाब होता रहता था. हाल ही में लॉरेंस बिश्नोई ने बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के घर पर गोलियां चलवाई थी. लॉरेंस बिश्नोई सिद्धू मूसेवाला जैसे जघन्य हत्याकांड का भी मास्टरमाइंड है. लेकिन सवाल ये उठता है कि जेल में रहते हुए विदेश में अपना नेटवर्क फैलाने वाला ये बंदा अब तक क्यों किसी के काबू में नहीं आया. जेल के अंदर रहकर टीवी पर आने से लेकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों को निशाना बनाने वाला लॉरेंस पर कोई भी शिकंजा नहीं कस सका है.
छत्तीसगढ़ में लॉरेंस का किलर कोड प्लान :ताजा मामले में छत्तीसगढ़ में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के चा शूटर गिरफ्तार किए गए हैं. जो छत्तीसगढ़ के बड़े कारोबारियों को निशाना बनाने आए थे. बात ये भी सामने आई है कि इन लोगों ने दूसरे व्यापारी को भी टारगेट करके रखा था. इन व्यापारियों का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने मेहनत और लगन के बूते पैसे कमाए हैं. और अब लॉरेंस एंड कंपनी को इनकी मेहनत की कमाई का हिस्सा चाहिए.लॉरेंस का एक ही उसूल है कि जो हिस्सा देगा उसकी सांसें चलेगी और जिसने मना किया उसके सीने में गोलियां उतार दी जाएंगी.
शांति के टापू में अशांति फैलाने का प्लान :छत्तीसगढ़ पुलिस की माने तो लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शूटर्स प्रदेश की धरती को लाल करने की पूरी प्लानिंग करके आए थे. कारोबारी की रेकी हो चुकी थी.दिन और समय तय किया जा चुका था.लेकिन उससे पहले शायद कारोबारी की भगवान ने सुन ली,जो पुलिस को देवता बनाकर लॉरेंस कंपनी और कारोबारी के बीच में दीवार बनाकर खड़ा कर दिया. दिल्ली से मिले इनपुट के बाद छत्तीसगढ़ की टीम एक्टिव हुई.इसके बाद ताबड़तोड़ तरीके से कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया.इन चारों की अकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस के गिरफ्त में आते ही सभी के गले से स्वर फूटने लगे.
20 गोलियां उतारने का था प्लान :इन्होंने पुलिस को बताया कि कारोबारी की रेकी करने के बाद उसके सीने में 20 गोलियां उतारते. हत्या ठीक उसी तरीके से होती जिस तरीके से पंजाब में सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस गोली कांड को अंजाम देने के बाद ये सभी बाइक में सवार होकर शहर की गलियों से आसानी से फरार हो जाते. प्लानिंग इतनी फुल प्रूफ थी कि ये लोग बात करने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे. किसी को शक ना हो इसलिए आसानी से कोड वर्ड के जरिए लोकेशन,प्लान और कहां जाना है किससे मिलना है.इन सारी बातों की जानकारी दी जाती थी. लॉरेंस बिश्नोई और अमन साहू ने छत्तीसगढ़ में डर फैलाने के लिए मयंक सिंह के मार्फत शूटर्स भेजे थे.जो काम को अंजाम देने के बाद फरार हो जाते
कौन है अमन साहू,कहां से करता है ऑपरेट ?:अमन साहू के बारे में सीआईडी ने 6 महीने पहले एटीएस को रिपोर्ट दी थी.रिपोर्ट की माने तो अमन साहू के गिरोह में 145 गुर्गे काम करते हैं.जिनमें से 99 जेल के बाहर हैं. गैंग ने अपने पास 5 एके 47, 250 पिस्टल और माउजर का जखीरा रखा है.अमन साहू के जेल जाने के बाद पूरा गैंग मयंक सिंह ऑपरेट करता है.अमन साहू पर 125 अपराध दर्ज हैं.वहीं इनका नेटवर्क चलाने वाला मयंक यूपी के देवरिया का निवासी है.
29 साल का अमन साहू रह चुका है टॉपर : गैंगस्टर अमन साहू को अमन साव के नाम से भी जाना जाता है. अमन रांची जिले के मतये, बुद्धमू गांव में 1996 में पैदा हुआ. 2010 में अमन ने मैट्रिक की परीक्षा 78 फीसदी अंकों के साथ पास की.इसके बाद इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस की परीक्षा पंजाब से पास की. 2012 में जब वह घर आया था तब उसकी पहचान जेएमएम सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह से हुई. बताया जाता है कि कुलेश्वर से मिलने के बाद ही अमन अपराध के रास्तों पर दौड़ गया. 2015 में पहली बार अमन जेल गया. जहां उसकी दोस्ती सुजीत सिन्हा और मयंक सिंह से हो गई.यही मयंक सिंह अब जेल से बाहर आने के बाद अपनी दोस्ती निभा रहा है.