उदंगुडी: तमिलनाडु में सरकार द्वारा कुलसेकरपट्टिनम में प्रस्तावित अंतरिक्ष पार्क के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने भूख हड़ताल शुरू किया है. तिरुचेंदूर के पास उदंगुडी में 500 से अधिक किसान और ग्रामीण सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. यह प्रदर्शन क्षेत्र में भूमि उपयोग और विकास, विशेष रूप से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सुविधाओं के विस्तार के संबंध में बढ़ते तनाव को उजागर किया है.
तमिलनाडु औद्योगिक विकास निगम (TIDCO) की अगुवाई में प्रस्तावित अंतरिक्ष पार्क को इसरो के दूसरे रॉकेट लॉन्च पैड के बगल में स्थापित करने की योजना है, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल आधारशिला रखी थी. जनवरी में सरकार द्वारा लगभग 1 हजार एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि और आदियाकुरिची, वेंकटरामानुजपुरम और माधवनकुरिची सहित ग्रामीण क्षेत्रों के अधिग्रहण की योजना की घोषणा का व्यापक रूप से विरोध किया जा रहा है.
ग्रामिणों का कहना है कि, अधिग्रहण से उनकी आजीविका संकट में आ जाएगी क्योंकि वे कृषि पर बहुत अधिक निर्भर है. उदंगुडी में शुरुआती परामर्श बैठक में विरोध प्रदर्शन को बढ़ाने का निर्णय लिया गया. उसके बाद 23 जनवरी को जिला कलेक्टर की शिकायत बैठक के दौरान आदियाकुरिची के किसानों ने वॉकआउट किया.
इस दौरान पुलिस ने भूख हड़ताल की अनुमति नहीं दी और विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. हालांकि, ग्रामीणों ने अपनी भूख हड़ताल शुरू कर दी, जिसमें आदियाकुरिची, कुलसेकरपट्टिनम, कोट्टनगाडु, उथिरामदन कुडियिरुप्पु, वेदाकोट्टईविलई और थीथथापुरम ज्ञानिया कुडियिरुप्पु सहित पंद्रह से अधिक बस्तियों के ग्रामिण किसान शामिल हुए.
प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रवक्ता ने कहा, "हमारी आजीविका दांव पर है...यह भूमि हमारा भरण-पोषण है. सरकार की योजनाएं हमारे जीवन जीने के तरीके को नष्ट कर देंगी. किसानों ने तमिलनाडु सरकार से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की.
उनका तर्क है कि, स्पेस पार्क का विकास उनके कृषक समुदायों की कीमत पर नहीं होना चाहिए. भूख हड़ताल को विभिन्न राजनीतिक दलों और स्थानीय संगठनों का समर्थन मिला है. स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है क्योंकि प्रदर्शनकारी अपना प्रदर्शन जारी रखते हुए सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. किसानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक अपना विरोध जारी रखेंगे, जिससे तमिलनाडु में औद्योगिक विकास और कृषि आजीविका के संरक्षण के बीच संतुलन पर सवाल उठ रहे हैं.
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