सुकमा: छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को सात लाख के इनामी नक्सली दंपति ने सरेंडर किया है. दोनों पति पत्नी माओवादियों की खोखली विचारधारा से परेशान थे. जिसकी वजह से उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का फैसला लिया. दोनों नक्सलियों पर सात लाख रुपये का इनाम घोषित था. सुकमा एसपी किरण जी चव्हाण ने इसकी पुष्टि की है. दोनों नक्सलियों ने पूना नार्कोम अभियान के तहत सरेंडर किया है.
सरेंडर करने वाले नक्सली दंपति के बारे में जानिए: सरेंडर करने वालों में नक्सली सोढ़ी सुक्का और उनकी पत्नी सोढ़ी सुक्की शामिल हैं. दोनों ने नक्सलियों की खोखली विचारधारा और अमानवीय नीतियों को देखते हुए लाल आतंक से नाता तोड़ा है. सोढ़ी सुक्का 45 साल का है जबकि नक्सली सोढ़ी सुक्की 37 साल की है. सोढ़ी सुक्का और सोढ़ी सुक्की माओवादियों की किस्टाराम क्षेत्र समिति में सक्रिय थे.
"सोढ़ी सुक्का साल 2001 में प्रतिबंधित नक्सल संगठन में शामिल हुआ. इसके बाद उसने विभिन्न पदों पर काम किया. वह दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संगठन (डीएकेएमएस) का चीफ रहा है. नक्सलियों का यह विंग किस्टाराम क्षेत्र समिति से जुड़ा हुआ है. सोढ़ी सुक्का सुरक्षा बलों पर हमला करने, हत्या और कई विस्फोट की घटनाओं में शामिल रहा है. सोढ़ी सुक्का के सिर पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था. जबकि उसकी पत्नी सोढ़ी सुक्की पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित था. सोढ़ी सुक्की नक्सलियों की शाखा क्रांतिकारी महिला आदिवासी संगठन की सदस्य है": किरण जी चव्हाण, एसपी, सुकमा
पूना नार्कोम अभियान के तहत किया सरेंडर: दोनों नक्सलियों ने पूना नार्कोम अभियान के तहत आत्म समर्पण करने का फैसला किया. पूना नार्कोम शब्द गोंडी भाषा से लिया गया है. इसका शाब्दिक अर्थ होता है नई सुबह की शुरुआत. इसी नई सुबह वाले अभियान पूना नार्कोम से प्रभावित होकर दोनों नक्सलियों ने सरेंडर किया है. सुकमा एसपी ने कहा है कि आत्मसमर्पण करने वाले दोनों नक्सलियों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.