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सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाउसिंग अथॉरिटी पर लगाया पांच लाख का जुर्माना, हाईकोर्ट का आदेश खारिज - Supreme Court - SUPREME COURT

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए निविदा प्रक्रिया में अनियमितता मामले में हिमुडा पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि प्राधिकरण के अधिकारियों ने अदालत के आदेश की आड़ में निजी कंपनी को ठेका देने में अनियमितताएं कीं.

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सुप्रीम कोर्ट

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 4, 2024, 9:44 PM IST

Updated : Apr 4, 2024, 10:43 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निविदा प्रक्रिया में अनियमितता मामले में हिमाचल प्रदेश आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण (HIMUDA-हिमुडा) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि शिमला में एक वाणिज्यिक परिसर की निविदा के संबंध में प्राधिकरण ने एक निजी कंपनी के साथ मिलकर हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी की और प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा निविदा प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं को कवर करने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया.

2 अप्रैल को दिए गए फैसले में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने कहा, हमने पाया है कि हिमुडा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत बदनीयता के साथ काम किया और वासु कंस्ट्रक्शन के साथ मिलीभगत करके हाईकोर्ट को धोखा दिया. पीठ ने कहा कि दो सप्ताह के भीतर हिमुडा द्वारा सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के पास जमा की जाने वाली पांच लाख रुपये की लागत के साथ अपील की अनुमति दी जाती है. अदालत ने स्पष्ट किया कि हिमुडा कानून के तहत और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद नई निविदा प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्वतंत्र होगा.

हिमुडा व निजी कंपनी के आचरण पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा, हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि हिमुडा ने वासु कंस्ट्रक्शन के साथ मिलकर हाईकोर्ट को धोखा दिया और निविदा प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं को छिपाने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया. हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि प्राधिकरण के अधिकारियों ने अदालत के आदेश की आड़ में निजी कंपनी को ठेका देने में अनियमितताएं कीं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने स्वतंत्र समिति के निष्कर्षों और एकल पीठ (हाईकोर्ट की) द्वारा 8 जनवरी, 2021 के आदेश में की गई टिप्पणियों को खारिज करने के लिए उचित दिमाग का उपयोग किए बिना और कोई ठोस कारण बताए बिना आदेश पारित कर दिया. इसलिए यह आदेश रद्द किए जाने योग्य है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि हाईकोर्ट प्राधिकरण और निजी कंपनी के गलत इरादों को नोटिस नहीं कर सका और स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए दोनों प्रतिवादियों को मूल निविदा के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया. जबकि एकल पीठ द्वारा दिनांक 8 जनवरी 2021 के आदेश में हिमुडा के अधिकारियों द्वारा की गई अनियमितताओं के संबंध में टिप्पणी की गई थी.

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Last Updated : Apr 4, 2024, 10:43 PM IST

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