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SC-ST आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला, कोटे के भीतर कोटा, जानिए किन लोगों को मिलेगा फायदा ? - Sub Category For Reservation - SUB CATEGORY FOR RESERVATION

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति कैटेगरी के लिए सब-कैटेगरी को मान्यता दे दी है. इसके साथ ही अब राज्य सरकारें समाज के सबसे पिछड़े और जरूरतमंद लोगों को पहले से मौजूद रिजर्वेशन में से कोटा दे सकेंगी.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 1, 2024, 2:55 PM IST

नई दिल्ली: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संवैधानिक पीठ ने अनुसूचित जाति-जनजाति कैटेगरी के लिए सब-कैटेगरी को मान्यता दे दी है. पीठ की ओर से ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने चिन्नैया फैसले को भी खारिज कर दिया है. इसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का कोई भी सब-कैटेगरी संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन होगा.

पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला देकर यह भी साफ कर दिया है कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है और राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कैटेगरी के लिए सब कैटेगरी भी बना सकती हैं, लेकिन सब कैटेगिरी का आधार उचित होना चाहिए.

SC-ST आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला (ETV Bharat)

अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं
सीजेआई ने कहा कि सब कैटेगरी संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करती, क्योंकि सब कैटेगरी को लिस्ट से बाहर नहीं रखा गया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जिस पीठ ने यह फैसला सुनाया है, उसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 15 और 16 में भी ऐसा कुछ नहीं है जो राज्य को किसी जाति को सब कैटेगरी करने से रोकता हो.

इससे पहले 2004 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था कि राज्य सरकारें नौकरी में रिजर्वेशन के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जातियों की सब कैटेगरी नहीं बना सकतीं.

क्या होता है कोटे की भीतर कोटा?
बता दें कि पहले से आवंटित रिजर्वेशन प्रतिशत के भीतर एक अलग आरक्षण व्यवस्था लागू करने को कोटे के भीतर कोटा कहा जाता है. इसके जरिए आरक्षण का लाभ समाज के सबसे पिछड़े और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जाती है. इसका उद्देश्य रिजर्वेश पाने वाले बड़े समूहों के भीतर छोटे, कमजोर वर्गों को आरक्षण देकर उनके अधिकार सुनिश्चित करना है.

क्या हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मायने?
सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब कैटेगरी बना सकती हैं और सबसे पिछड़े वर्गों को रिजर्वेशन का लाभ दे सकती हैं. उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों ने SC, ST और OBC कैटेगरी के भीतर विभिन्न सब- कैटेगरी को आरक्षण देने की व्यवस्था की है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकारें सब कैटेगरी रिजर्वेशन देने के लिए अहम कदम उठा सकती हैं और सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सब कैटेगरी में शामिल करके शिक्षा और नौकरी में आरक्षण दे सकती हैं.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सभी अनुसूचित जाति और जनजाति एक जैसी नहीं, रिजर्वेशन में जाति आधारित हिस्सेदारी संभव

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