नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिलने के तुरंत बाद कैबिनेट पद पर फिर से नियुक्त किए जाने से चिंतित है. कोर्ट ने कहा, "हम जमानत देते हैं और अगले दिन आप जाकर मंत्री बन जाते हैं! यह बंद होना चाहिए...".
यह मामला जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ए जी मसीह की पीठ के समक्ष आया. पीठ बालाजी की कैबिनेट पद पर नियुक्ति के बारे में घटनाक्रम के बारे में जानकर आश्चर्यचकित हुई और इस बात पर जोर दिया कि यह चिंता का विषय है.
'यह बंद होना चाहिए'
पीठ ने कहा, "हम जमानत देते हैं और अगले दिन आप जाकर मंत्री बन जाते हैं! यह बंद होना चाहिए." पीठ ने कहा कि कोई भी यह सोचने के लिए बाध्य होगा कि बालाजी के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री होने के कारण गवाह अब दबाव में होंगे. मामले में गवाहों पर उनकी मंत्री भूमिका के प्रभाव पर जोर देते हुए पीठ ने कहा कि यह क्या हो रहा है? बालाजी के खिलाफ मामला कथित तौर पर नौकरी के लिए नकदी घोटाले से जुड़ा है.
पीठ ने मामले में शिकायतकर्ताओं में से एक के विद्या कुमार द्वारा दायर आवेदन पर बालाजी से जवाब मांगते हुए कहा कि यहां मूल सिद्धांत यह है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए बल्कि स्पष्ट रूप से न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए. आवेदन में 26 सितंबर के फैसले को वापस लेने की मांग की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बालाजी को जमानत दी थी, ताकि मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित की जा सके.