नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और मद्रास हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आर महादेवन को सर्वोच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर गुरुवर को अपलोड किए गए एक प्रस्ताव में कॉलेजियम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में दो रिक्तियां हैं: पहली रिक्ति जस्टिस अनिरुद्ध बोस के 10 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त होने और दूसरी रिक्ति जस्सिट एएस बोपन्ना के 19 मई 2024 को सेवानिवृत्त होने के कारण है.
जस्टिस सिंह मूल रूप से मणिपुर से हैं और वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने वाले राज्य के पहले व्यक्ति होंगे. जस्सिट सिंह को 17 अक्टूबर 2011 को गौहाटी हाईकोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया गया था. मणिपुर हाईकोर्ट के गठन के बाद उन्हें गौहाटी हाईकोर्ट से उनके गृह राज्य में न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था. 15 फरवरी 2023 को उन्हें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. जस्टिस कोटिश्वर सिंह 28 फरवरी 2025 को सेवानिवृत्त होंगे.
कॉलेजियम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस सिंह की नियुक्ति पूर्वोत्तर को प्रतिनिधित्व प्रदान करेगी और विशेष रूप से वह मणिपुर राज्य से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश होंगे. कॉलेजियम ने कहा कि जस्टिस कोटिश्वर सिंह की न्यायिक क्षमता और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्रशासनिक पक्ष में उनके द्वारा किए गए कार्यों के संदर्भ में बेदाग रिकॉर्ड है. कॉलेजियम ने आगे कहा कि न्यायिक प्रदर्शन, प्रशासनिक कौशल, ईमानदारी और योग्यता के संदर्भ में जस्सिट एन कोटिश्वर सिंह की उम्मीदवारी पर विचार करते हुए कॉलेजियम का मानना है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए पूरी तरह से उपयुक्त हैं.
वहीं, जस्टिस आर महादेवन को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश करते हुए कॉलेजियम ने कहा कि हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में वह सर्वोच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्ति के लिए पूरी तरह उपयुक्त हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने कहा कहा कि जस्टिस महादेवन तमिलनाडु के पिछड़े समुदाय से हैं. उनकी नियुक्ति से पीठ में विविधता आएगी.