नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र में एनसीपी के चुनाव चिह्न 'घड़ी' को लेकर चल रहे विवाद के बीच अजित पवार गुट को निर्देश दिया कि, वह मराठी समेत प्रमुख समाचार पत्रों में एक डिस्क्लेमर प्रकाशित करें, जिससे यह स्पष्ट हो कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह डिस्क्लेमर अगले 36 घंटे के भीतर प्रकाशित होना चाहिए, ताकि जनता आसानी से और जल्दी समझ सकें. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है.
यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया. शरद पवार गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि शरद पवार पिछले तीन दशकों से घड़ी के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह चुनाव चिन्ह उनसे बहुत करीब से जुड़ा हुआ है. दूसरी तरफ अजित पवार गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल 'घड़ी' चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सिंह से पूछा, "आप अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने के लिए समय क्यों ले रहे हैं?......हम आपको दिन नहीं दे रहे हैं, हम पूछ रहे हैं कि आप कितने घंटों में यह कर सकते हैं?" सिंह ने जवाब दिया कि यह कुछ दिनों में किया जा सकता है. हालांकि, बेंच ने यह स्पष्ट किया कि डिस्क्लेमर अधिकतम 36 घंटों के भीतर समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाना चाहिए.