नई दिल्ली: चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में तीन जजों की एक बेंच 1100 पेड़ों को काटने के मामले में आज सुनवाई करेगी. बेंच में जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. मामला दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरटी से भी जुड़ा है.
दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर व सतबड़ी में डीडीए द्वारा 1100 पेड़ों के काटने के मामले को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है. इससे पहले मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को सचिवालय में प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस से अनुरोध किया है कि वह डीडीए के हलफनामे को जरूर पढ़ें. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की एक बेंच के समक्ष दिल्ली के सतबड़ी इलाके के रिज एरिया में लगभग 1100 पेड़ों को गैर कानूनी तरीके से काटे जाने का मामला सुना जाएगा.
उन्होंने कहा कि डीडीए के वाइस चेयरमैन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दाखिल किए गए हालतनामे को यदि चीफ जस्टिस एक बार पढ़ लें, तो उन्हें न केवल पर्यावरण के बारे में और न केवल डीडीए विभाग के बारे में बल्कि केंद्र सरकार और उनके द्वारा नियुक्त किए गए उपराज्यपाल के बारे में सब कुछ पता चल जाएगा.
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है यदि चीफ जस्टिस इस हलफनामे को केवल 10 मिनट पढ़ लेंगे तो उन्हें पता चल जाएगा कि केंद्र में बैठी सरकार और उनके द्वारा नियुक्त किए गए उपराज्यपाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार और दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ क्या कर रहे है. उन्होंने कहा कि वे पूर्व में लगातार इस बात का खुलासा करते रहे हैं कि डीडीए विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने ईमेल के जरिए डीडीए के ठेकेदार जिसको पेड़ काटने का आदेश दिया गया था, उसे कहा कि उपराज्यपाल के मौखिक आदेश हैं कि पेड़ों को काट दिया जाए. उन्होंने कहा कि इस बिंदु पर जब कोर्ट में डीडीए के वकील से प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि हमारा ईमेल हैक कर लिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट से डीडीए ने सच छुपायाः भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष डीडीए के वाइस चेयरमैन द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने अपने हालतनामे में इस बात के लिए माफी मांगी है और कहा है कि हमने सुप्रीम कोर्ट से सच छुपाया था, जो पेड़ पहले ही काट दिए गए थे उसके काटने की परमिशन सुप्रीम कोर्ट में पेड़ों को काटने के बाद मांगने गए थे. इस झूठ के लिए उन्होंने माफी मांगी.