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भारत के प्रथम गांव में 3,200 मीटर की ऊंचाई पर आकर्षण का केंद्र बनीं पांडवों की मूर्तियां, यहीं से किया था स्वर्गारोहण

माणा गांव में पांडवों की 13 क्विंटल वजनी मूर्तियां लगी हैं, ये मूर्तियां पांडवों के स्वर्गारोहण की कहानी बताती हैं

STATUES OF PANDAVAS IN MANA
माणा गांव में पांडवों की मूर्तियां (PHOTO- ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

Updated : 1 hours ago

चमोली (उत्तराखंड): 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित देश का प्रथम गांव माणा, अपनी खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है. 12 महीने ठंड और यहां रहने वाली भोटिया समुदाय की एक बड़ी आबादी यहां की पहचान है. धार्मिक महत्व के साथ ही यह गांव अपने आप में कई किस्से समेटे हुए है.

3,200 मीटर की ऊंचाई पर है प्रथम गांव माणा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वही स्थान है, जहां से पांडवों ने स्वर्ग का रास्ता तय किया था. सरस्वती का उद्गम स्थल इसी गांव में आज भी मौजूद है. बदरीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की इच्छा रहती है कि वह इस गांव का भ्रमण कर यहां की खूबसूरती को देखें.

माणा में आकर्षण का केंद्र बनी पांडवों की मूर्तियां (VIDEO- ETV Bharat)

अब यहां लगी पांच पांडवों की धातु की मूर्तियां भी इस गांव की पहचान बन गई हैं. इन विशाल मूर्तियों को इतनी खूबसूरती और कुशलता से बनाकर यहां पर लगाया गया है, कि अब यहां आने वाले पर्यटक माणा गांव को इन्हीं मूर्तियां की वजह से जान रहे हैं.

माणा गांव के पास पांडवों की मूर्तियां लगाई गई हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

पांडवों की मूर्तियां माणा गांव की पहचान बन गईं:यहां आने वाले हर व्यक्ति के मन में एक ही विचार वापस लौटने के बाद रहता था कि वह भारत के अंतिम या प्रथम गांव में घूम कर आया है. बहुत कम लोग यह जानते थे कि यह वही रास्ता है, जहां से पांडव भी स्वर्ग की तरफ गए थे. लेकिन अब यहां आने वाले पर्यटक, पांडवों की स्वर्गारोहिणी कथा को इन मूर्तियों के जरिए जान रहे हैं.

पांडवों के साथ उनके श्वान की मूर्ति (PHOTO- ETV BHARAT)

बड़े-बड़े आकार की यह पांच मूर्तियां माणा गांव आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को दूर से ही आकर्षित करती हैं. अलग-अलग धातुओं से मिलकर बनीं कई किलो वजनी यह मूर्तियां अब चर्चा का विषय बन रही हैं. हाल ही के दिनों में इन्हें यहां पर लगाया गया है. खास बात यह है की पांच पांडवों के अलावा द्रौपदी और युधिष्ठिर के साथ स्वर्ग जाने वाले श्वान की भी मूर्ति यहां लगाई गई है.

महाभारत के अनुसार इसी रास्ते स्वर्गारोहण को निकले थे पांडव:माणा गांव में जाकर आप यह महसूस कर सकते हैं कि आसपास कितनी शांति और सुकून से यह पहाड़ आपको निहार रहे हैं. पांडवों को लेकर महाभारत में कई कहानियां हैं. महाभारत के 17वें पर्व में यह लिखा है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पांच पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ संन्यास धारण कर हिमालय की तरफ निकल गए थे. हिमालय में ही पांचों पांडवों और द्रौपदी ने खूब तपस्या की. वह अलग-अलग जगह पर भ्रमण करते रहे. इसके बाद उनकी स्वर्ग रोहण की यात्रा शुरू हुई.

माणा गांव में मां सरस्वती का मंदिर (PHOTO- ETV BHARAT)

इस यात्रा में एक-एक करके द्रौपदी, नकुल, सहदेव, अर्जुन और भीम की मृत्यु हो गई. आखिर पांच भाइयों में युधिष्ठिर इस यात्रा में अकेले बचे थे जो स्वर्ग पहुंचे थे. धर्मराज युधिष्ठिर के साथ उनका श्वान यानी कुत्ता भी सशरीर स्वर्ग गए थे. इसके बाद से ये मान्यता हो गई कि उत्तराखंड के इसी गांव से सतोपंथ होते हुए वह रास्ता जाता है, जहां पर व्यक्ति बिना मृत्यु के भी स्वर्ग लोक जा सकता है.

सरस्वती मंदिर में ज्ञान की देवी की मूर्ति (PHOTO- ETV BHARAT)

यहीं से अब लोग जाते हैं स्वर्ग रोहिणी ट्रेकिंग रूट:इस रास्ते से ही कई पर्वतारोही स्वर्ग रोहिणी और दूसरे रोमांचक ट्रेकिंग प्वाइंट पर जाते हैं. लोग अपने अनुभवों में कई बार बता चुके हैं कि इस रास्ते से जाने वाला ट्रेकिंग प्वाइंट बेहद खूबसूरत और बेहद अलग है. यहां से गिरने वाले झरने उत्तराखंड के अन्य झरनों से बेहद अलग हैं. साल के 7 महीने इस रास्ते के माध्यम से कई पर्वतारोही लंबे सफर के लिए निकलते हैं. हालांकि यह सफर बेहद खतरनाक और जटिल है. पहाड़ों से प्रेम करने वाले लोगों का यहां आना लगा रहता है. अब इन मूर्तियों के लगने के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या और उत्साह दोनों में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है.

माणा गांव के पास सरस्वती नदी (PHOTO- ETV BHARAT)

माणा गांव को मिल रहा है फायदा:माणा गांव के प्रधान पीतांबर मोल्फा ने बताया कि यह मूर्तियां महाराष्ट्र की एमआईटी पुणे के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ विश्वनाथ कराड़ ने बनवाई हैं. उन्होंने यह मन तब बनाया था, जब वो साल 2021 में इस जगह पर एक सरस्वती मंदिर बनाने आए थे. आज भी वह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. सरस्वती नदी के किनारे यह खूबसूरत मंदिर उन्होंने ही बनवाया है.

पांडवों की मूर्तियां लगने के बाद माणा में पर्यटन बढ़ा (PHOTO- ETV BHARAT)

साल 2021 में उन्होंने यह कहा था कि वह इस रास्ते में पांडव की बड़ी-बड़ी मूर्तियां लगवाने चाहते हैं. अब उनका यह संकल्प पूरा हो गया है. मूर्तियों को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. लोग इनकी पूजा कर रहे हैं. इनके साथ फोटो खिंचवा रहे हैं. इस पूरे क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को यह मूर्तियां बेहद पसंद आ रही हैं. इतना ही नहीं इन मूर्तियों की वजह से माणा को एक नई पहचान मिल रही है.

माणा के लोग ऊनी वस्त्रों का व्यापार करते हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हैं मूर्तियां:इन मूर्तियों का वजन लगभग 13 क्विंटल है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ इन मूर्तियों को देखने के लिए बदरीनाथ आने वाले पर्यटक ही यहां तक पहुंच रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोग यानी जोशीमठ, पीपलकोटी और आसपास के लोग भी इन मूर्तियों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं. इन मूर्तियों के लगने के बाद यहां के लोगों की आजीविका में भी बढ़ोत्तरी हुई है.

माणा गांव का सुंदर दृश्य (PHOTO- ETV BHARAT)

यहां आने वाले पर्यटक या यह कहें बदरीनाथ में माथा टेकने के बाद माणा पहुंचने वाले लोग इन मूर्तियों को देखकर बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि इतनी ऊंचाई पर हमारी धार्मिक संस्कृति को इस तरह से लोगों तक पहुंचाने का काम बेहद सराहनीय है. कई साल बाद इस गांव को दोबारा देखने के लिए पहुंचे शिवम तिवारी कहते हैं कि मूर्तियां जितनी खूबसूरत होती हैं, उससे कहीं अधिक खूबसूरत यहां पर लगी मूर्तियां हैं. यहां पर आकर मन बेहद प्रसन्न और शांति महसूस कर रहा है. उत्तम शर्मा भी इन मूर्तियों को देखकर बेहद खुश दिखाई दिए. इस तरह से यहां पर आकर और जानकारियां इकट्ठा करने की उनकी उत्सुकता बढ़ गई.
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