पटनाः बिहार के सिंघम, पूर्णिया के आईजी शिवदीप लांडे ने 19 सितंबर को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देने की घोषणा कर सबको चौंका दिया था. आखिर लांडे ने नौकरी से इस्तीफा क्यों दिया? आगे क्या करेंगे? बिहार उनकी कर्मभूमि रहेगी तो यहां क्या करने जा रहे हैं? शिवदीप लांडे के इस्तीफा के बाद हर जगह चर्चा थी कि वह किसी राजनीतिक दल के साथ अपनी आगे की यात्रा शुरू करेंगे. लेकिन, शिवदीप लांडे ने इन चर्चाओं पर विराम लगा दिया.
इस्तीफे का कारणः शुक्रवार की सुबह में ईटीवी भारत ने शिवदीप लांडे से इस्तीफा देने के कारणों के बारे में बातचीत की. शिवदीप लांडे ने उस वक्त तो इतना ही कहा कि सोशल मीडिया पर पहले ही इस सवाल का जवाब दे चुका हूं. तब उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर जो लिखा है वह अक्षरशः सत्य है. लेकिन, वह क्या करने वाले हैं, इस सवाल पर चुप्पी साधी रहे. उसके बाद उन्होंने फिर से सोशल मीडिया फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर ईटीवी भारत के सवालों का जवाब देने का प्रयास किया.
शिवदीप लांडे ने फेसबुक पर लिखा- "सर्वप्रथम मैं पूरे दिल से सभी का आभार प्रकट करना चाहता हूं, क्यूंकि कल से मुझे जो प्यार और प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है वो मैंने कभी नहीं सोचा था. मेरे कल के त्यागपत्र के बाद से कुछ मीडिया वाले इस संभावना को तलाशने में लगे हैं कि शायद मैं किसी राजनितिक पार्टी से जुड़ने जा रहा हूं. मैं इस पोस्ट के माध्यम से सभी को ये बताना चाहता हूं कि मेरी न ही किसी राजनीतिक पार्टी से कोई बात हो रही है और न ही किसी पार्टी के विचारधारा से मैं जुड़ने जा रहा हूं. कृपया कर मेरे नाम को किसी के साथ जोड़ कर न देखें."
इससे पहले गुरुवार को भी शिवदीप लांडे ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर अपने इस्तीफा देने के बारे में जानकारी दी थी. तब उन्होंने लिखा था- "मेरे प्रिय बिहार, पिछले 18 वर्षो से सरकारी पद पर अपनी सेवा प्रदान करने के बाद आज मैंने इस पद से इस्तीफा दे दिया है. इन सभी वर्षो में मैंने बिहार को ख़ुद से और अपने परिवार से भी ऊपर माना है. अगर मेरे बतौर सरकारी सेवक के कार्यकाल में कोई त्रुटि हुई हो तो मैं उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं. मैंने आज भारतीय पुलिस सर्विस (IPS) से त्यागपत्र दिया है, परन्तु मैं बिहार में ही रहूंगा और आगे भी बिहार मेरी कर्मभूमि रहेगी."
लांडे के इस्तीफे पर बिहार में सियासत: शिवदीप लांडे के इस्तीफे के बाद बिहार में इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. राजद ने उनके इस्तीफा के बहाने बिहार सरकार पर निशाना साधा है. राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा है कि बिहार में अच्छे अधिकारी काम करना नहीं चाहते हैं. पहले IPS अधिकारी काम्या मिश्रा जैसी अच्छी अधिकारी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, अब शिवदीप लांडे जैसे अधिकारी ने भी इस्तीफा दे दिया. मुख्यमंत्री इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं. बिहार में रिटायर्ड अधिकारी की मनमानी चल रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप बैठे हुए हैं.
राजद पर बीजेपी का पलटवारः शिवदीप लांडे के इस्तीफा पर राजद ने सवाल उठाया तो बीजेपी ने भी लालू राबड़ी शासन काल से जुड़ी कुछ बातें का जिक्र कर पलटवार किया. बीजेपी प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने तेजस्वी यादव को संबोधित करते हुए एक वीडियो जारी किया, जिसमें वो कह रहे हैं "अधिकारियों से पीकदान और थूकदान उठाने का काम आपके (तेजस्वी यादव) पिताजी किया करते थे. माननीय लालू प्रसाद यादव जो आपके परम पूज्य पिता हैं वह अधिकारियों से जबरदस्ती उनका मनोबल तोड़ने के लिए खैनी लगवाया करते थे. यह आपके परिवार और आपके दल की मनोदशा है"
इस्तीफा का फैसला व्यक्तिगत होताः भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार में जो अधिकारी इमानदारी से काम करते हैं उनका पूरा सम्मान करते हैं. कुंतल कृष्ण ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यक्तिगत फैसला होता है कि वह सरकारी नौकरी में रहे या नहीं रहे. अगर कोई एक अधिकारी किसी कारण से सरकारी नौकरी से स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ वही ईमानदार है. बिहार के सैकड़ों हजारों अधिकारी जिनकी इमानदारी के कारण आज बिहार से जंगल राज, भ्रष्टाचार राज खत्म किया जा सका.
क्या कहते हैं राजनीति के जानकारः वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि राजनीति में अच्छे लोगों का आना जरूरी है. किसी का भी पॉलिटिक्स की ओर रुझान होना एक स्वाभाविक बात है. कुछ दिन पहले काम्या मिश्रा का इस्तीफा हुआ और अब शिवदीप लांडे का. दोनों राजनीति में जाने से सीधे तौर पर इनकार कर रहे हैं. लेकिन बिहार में ही आनंद मिश्रा जो असम कैडर के आईपीएस थे चुनाव लड़े थे. भारत की राजनीति में बड़ी संख्या में पूर्व आईएएस एवं आईपीएस अधिकारी सक्रिय हैं. आरके सिंह मंत्री थे, अश्विनी वैष्णव रेल मंत्री हैं. बिहार में जो अधिकारी इस्तीफा दे रहे हैं उनके मन में भी यह हो सकता है कि वह नौकरी से इस्तीफा देकर उनके पदचिह्नों पर चलें.