नई दिल्ली/मुंबई:सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि सेबी जैसे नियामक और प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) जैसे अपीलीय मंच एक स्थिर और पूर्वानुमानित निवेश माहौल को बढ़ावा देने में सबसे अधिक राष्ट्रीय महत्व रखते हैं. सीजेआई ने मुंबई के मित्तल कोर्ट में एसएटी के नए कार्यालय परिसर का उद्घाटन करते हुए यह बात कही. उन्होंने आगे कहा कि जब हम 'कानून के शासन' के विचार के बारे में सोचते हैं, तो हम अक्सर इसे केवल सामाजिक और राजनीतिक न्याय से जोड़ते हैं. हालांकि, 2005 की शुरुआत में, विश्व बैंक ने यह सिद्धांत दिया कि 'कानून के शासन' की रक्षा करना भी आंतरिक रूप से बेहतर आर्थिक परिणामों और वित्तीय उन्नति से जुड़ा हुआ है.
SAT और SEBI का अत्यधिक राष्ट्रीय महत्व
देश के मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, 'एक कानूनी प्रणाली जिसमें पर्याप्त प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय, निष्पक्षता और मंच हैं जो मनमानेपन के बिना न्याय प्रदान करते हैं, देश के बाजारों और व्यापार परिदृश्य में निवेशकों का विश्वास बनाने के लिए अभिन्न अंग है.' सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि सेबी जैसे नियामक और एसएटी जैसे अपीलीय मंच एक स्थिर और पूर्वानुमानित निवेश माहौल को बढ़ावा देने में अत्यधिक राष्ट्रीय महत्व रखते हैं. उन्होंने कहा कि, 'जब निवेशक आश्वस्त महसूस करते हैं कि उनका निवेश कानून से संरक्षित है और विवाद समाधान के लिए प्रभावी तंत्र हैं, तो उनके देश के बाजारों में निवेश करने की अधिक संभावना है. निवेश के इस प्रवाह से पूंजी निर्माण में वृद्धि, रोजगार सृजन और समग्र आर्थिक विकास की दिशा में बेहतर आर्थिक परिणाम मिल सकते हैं.
SAT एक रेफरी की तरह
सीजेआई ने कहा कि SAT एक रेफरी की तरह है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वित्त की 'डॉग इट डॉग' वाली दुनिया में, सभी हितधारक नियमों के अनुसार खेलें. उन्होंने कहा कि, किसी भी अच्छे रेफरी की तरह, SAT ने विकसित होते खेल के साथ सफलतापूर्वक तालमेल बनाए रखा है. उन्होंने कहा, 'जैसे-जैसे हमारे बाजार और व्यवसाय अधिक जटिल होते जा रहे हैं और नए नियमों की बाढ़ आ रही है, ट्रिब्यूनल को लगातार चुनौती का सामना करना होगा.'
जटिल वित्तीय मामलों की गहरी समझ की आवश्यकता
सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रिब्यूनल के समक्ष अपीलों पर प्रभावी ढंग से निर्णय लेने के लिए, सदस्यों को न केवल जटिल वित्तीय मामलों की गहरी समझ की आवश्यकता है, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात, निष्पक्ष निर्णय और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, 'यह बाजार की अखंडता और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है.' सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि, बाजार प्रतिभागियों की संख्या में तेजी से वृद्धि और वित्तीय लेनदेन की मात्रा में वृद्धि, नियामक गैर-अनुपालन, बाजार आचरण, कॉर्पोरेट प्रशासन और शेयरधारकों से संबंधित विवादों की संख्या में वृद्धि की संभावना लाती है.