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डिटेंशन सेंटर को लेकर असम सरकार पर SC सख्त, मुख्य सचिव वर्चुअली कोर्ट में होंगे पेश - SUPREME COURT

विदेशियों को हिरासत केंद्र में रखने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने असम सरकार से नाखुशी जताई.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (IANS)

By Sumit Saxena

Published : Jan 22, 2025, 8:13 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम सरकार की इस बात के लिए कड़ी आलोचना की कि उसने लिखित जवाब में अदालत के समक्ष 270 विदेशियों को मटिया ट्रांजिट कैंप में हिरासत में रखने के कारणों को नहीं बताया. यह मामला न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने असम के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया.

सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि उनका हलफनामा पूरी तरह से दोषपूर्ण है, क्योंकि यह यह स्पष्ट करने में विफल रहा कि शिविर में इतने सारे लोगों को क्यों हिरासत में रखा गया है. अपने पिछले आदेश का हवाला देते हुए पीठ ने यह औचित्य मांगा कि निर्वासन की प्रक्रिया शुरू किए बिना ही लोगों को हिरासत केंद्रों में क्यों रखा जा रहा है?

पीठ ने कहा कि वह राज्य के हलफनामे से कोई स्पष्टीकरण नहीं समझ पा रही है. साथ ही पीठ ने पूछा, "270 विदेशी हैं...राज्य की कीमत पर, इन लोगों को हिरासत में क्यों रखा जाना चाहिए?" वहीं राज्य के वकील ने कहा कि इन लोगों को तभी हिरासत में लिया गया जब उन्हें विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किया गया था. इस पर पीठ ने पूछा, निर्वासन की प्रक्रिया क्यों शुरू नहीं हुई?

पीठ ने अपने आदेशों का पालन न करने के लिए मुख्य सचिव की वर्चुअली उपस्थिति की मांग करते हुए कहा कि "हलफनामे में हिरासत में लेने का कोई औचित्य नहीं दिया गया है... निर्वासन के लिए उठाए गए कदमों का विवरण नहीं दिया गया है. यह इस कोर्ट के आदेशों का घोर उल्लंघन है."

राज्य सरकार के वकील ने अवैध प्रवासियों के निर्वासन की प्रक्रिया के बारे में बताया. हालांकि, पीठ, राज्य के वकील के तर्क से सहमत नहीं दिखी. पीठ ने पूछा कि निर्वासन की प्रक्रिया शुरू किए बिना हिरासत में क्यों रखा जा रहा है. इस पर असम सरकार के वकील ने कहा कि हलफनामा गोपनीय है और इसे सीलबंद ही रहना चाहिए.

हालांकि, पीठ, जो इस दलील से नाखुश दिखी, ने कहा, "इससे पता चलता है कि राज्य साफ-साफ नहीं आना चाहता. हमें बताएं कि हलफनामे में क्या गोपनीय है?" वकील ने जवाब दिया कि इसमें विदेशियों के पते के बारे में विवरण है, और ये विवरण मीडिया को दिए जा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पिछले वर्ष दिसंबर के दूसरे सप्ताह में राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था और अपेक्षा की थी कि वह ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखने के कारणों के अलावा उनके निर्वासन के लिए उठाए गए कदमों का विवरण भी बताएगी.

मामले को सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि हलफनामे को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए, और कहा, “प्रथम दृष्टया हम वकील से असहमत हैं कि सामग्री के बारे में कुछ गोपनीय है.” इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि वह विदेशियों के लिए बनाए गए मटिया ट्रांजिट कैंप का औचक निरीक्षण करे और वहां की साफ-सफाई और भोजन की गुणवत्ता की जांच करे.

सुप्रीम कोर्ट असम में विदेशी घोषित किए गए लोगों को वापस भेजने और डिटेंशन सेंटर में सुविधाओं के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

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