नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी राजनीतिक दल के सक्रिय सदस्य को बार निकायों का चुनाव लड़ने से रोकता हो और वह ऐसा कोई कानून भी नहीं बना सकता है. कोर्ट ने कहा, "लोकतंत्र में हमेशा अलग-अलग विचारधाराओं की गुंजाइश होती है, लेकिन यह संविधान के अनुरूप होनी चाहिए."
यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में हमेशा अलग-अलग विचारधाराओं की गुंजाइश होती है, लेकिन यह संविधान के अनुरूप होनी चाहिए. "ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी राजनीतिक दल के सक्रिय सदस्य को बार निकायों का चुनाव लड़ने से रोकता हो. आप चाहते हैं कि हम कोई कानून बनाएं. पीठ ने कहा, "क्षमा करें, ऐसा नहीं किया जा सकता."
वरिष्ठ अधिवक्ता सिराजुद्दीन, याचिकाकर्ता अधिवक्ता जया सुकिन की ओर से पीठ के समक्ष उपस्थित हुए. पीठ ने कानूनी दिग्गज राम जेठमलानी का हवाला दिया और कहा कि वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर थे और एससीबीए के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. पीठ ने पूछा, "यदि बार के किसी पदाधिकारी की कोई राजनीतिक विचारधारा है, तो इसमें क्या गलत है?"
शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां एक अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कीं, जिसमें केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की गई थी कि बार निकायों के चुनाव लड़ने वालों को किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं होना चाहिए.