नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन को सनातन धर्म पर टिप्पणी के मामले में जमकर फटकार लगाई. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि अपने बयान को लेकर काफी सतर्क रहना चाहिए. आपको बयान के नतीजों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. आप एक मंत्री हैं कोई आम इंसान नहीं. बता दें, उदयनिधि के खिलाफ अलग-अलग राज्यों कर्नाटक, यूपी, जम्मू, महाराष्ट्र आदि में केस दर्ज हैं. वहीं, स्टालिन ने 'सनातन धर्म' के संबंध में अपनी टिप्पणी को लेकर दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग - सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने कहा कि आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है. अनुच्छेद 19(1)(ए) और अनुच्छेद 25 अधिकार का दुरुपयोग करते हैं. अब अनुच्छेद 25 के तहत सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा मांग रहे हैं. कोई आम आदमी नहीं, आप एक मंत्री हैं. आपको अपने बयान के परिणाम का पता होना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा कि वे हाई कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं.
सभी एफआईआर एक साथ जोड़ने की अपील
स्टालिन की तरफ से वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल को सभी उच्च न्यायालयों में जाना होगा. वह लगातार इसमें बंधे हुए हैं, यह अभियोजन पक्ष के समक्ष उत्पीड़न है. सिंघवी ने एफआईआर को एक जगह क्लब करने पर जोर देते हुए अर्नब गोस्वामी, नूपुर शर्मा, मोहम्मद जुबैर और अमीश देवगन के मामलों का भी जिक्र किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर को क्लब करने पर सहमति जताई थी. उन्होंने कहा कि वह दर्ज हुए मुकदमों के तथ्यों पर टिप्पणी नहीं कर रहे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट पहले भी एक ही मामले से जुड़े मुकदमों को साथ जोड़ता रहा है.