नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने आईआईटी-मद्रास की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए नीट-यूजी 2024 की दोबारा परीक्षा की मांग का विरोध करते हुए एक हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में पेश किया. इसमें कहा गया है कि डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर भष्टाचार का कोई संकेत नहीं है.
एनटीए ने एक अलग हलफनामे में प्रश्नपत्र की सुरक्षा श्रृंखला का पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराया. इसकी मांग सुप्रीम कोर्ट ने की थी. इसमें प्रश्नपत्र तैयार होने से लेकर परीक्षा के दिन अभ्यर्थियों तक इसे पहुंचाने तक का ब्यौरा शामिल है. एनटीए ने कहा कि प्रश्नपत्रों वाले सीलबंद लोहे के बक्से परीक्षा शुरू होने से 45 मिनट पहले खोले गए थे. वहीं, दो निरीक्षकों और दो उम्मीदवारों को सीलबंद बक्से खोलने की प्रक्रिया को देखने की आवश्यकता है.
इसे निर्धारित फॉर्म पर हस्ताक्षर करके इस प्रक्रिया को प्रमाणित करना आवश्यक है. एनटीए ने कहा कि 4 मई को टेलीग्राम पर लीक हुए नीट यूजी परीक्षा के पेपर की तस्वीर दिखाने वाला वीडियो फर्जी था और समय से पहले लीक होने की झूठी धारणा बनाने के लिए टाइमस्टैम्प में हेरफेर किया गया था. एनटीए ने कहा कि पटना में कथित पेपर लीक मामले ने पूरी परीक्षा की पवित्रता को प्रभावित नहीं किया है.
केंद्र ने हलफनामे में कहा कि नीट-यूजी 2024 परीक्षा से संबंधित डेटा का विस्तृत तकनीकी मूल्यांकन आईआईटी मद्रास द्वारा किया गया था. इसमें अंकों के वितरण, शहरवार और केंद्रवार रैंक वितरण और अंकों की सीमा में उम्मीदवारों के वितरण जैसे मापदंडों का उपयोग किया गया था. आईआईटी मद्रास के विशेषज्ञों द्वारा दिए गए निष्कर्षों का हवाला देते हुए हलफनामे में कहा गया है कि अंकों का वितरण विशेष पद्धति (bell-shaped curve) का अनुसरण करता है जो किसी भी बड़े पैमाने की परीक्षा में देखा जाता है. ये किसी भी असामान्यता का संकेत नहीं देता है.
इसमें कहा गया है कि 2 साल, 2023 और 2024 के लिए शहरवार और केंद्रवार विश्लेषण किया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोई असामान्य संकेत तो नहीं हैं. हलफनामे में कहा गया, 'विश्लेषण से पता चलता है कि न तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का कोई संकेत है और न ही उम्मीदवारों के एक स्थानीय समूह को लाभ पहुंचाया जा रहा है, जिससे असामान्य अंक आए.'