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बस्तर पादरी शव दफनाने के विवाद पर SC में सुनवाई, जजों ने दिया अलग अलग मत - SC HEARS BASTAR PASTOR CASE

बस्तर के छिंदावाड़ा गांव में पादरी सुभाष बघेल के शव को दफनाने के विवाद पर SC ने आदेश जारी किया है.

SC HEARS BASTAR PASTOR CASE
पादरी सुभाष बघेल केस पर सुनवाई (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 27, 2025, 10:56 PM IST

Updated : Jan 27, 2025, 11:03 PM IST

बिलासपुर/बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर के छिंदावाड़ा गांव में एक पादरी सुभाष बघेल के शव को दफनाने से जुड़े विवाद पर अहम फैसला सुनाया है. इस केस में कोर्ट ने करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए तय किए गए स्थान पर ही शव को दफनाया जाए. यह केस उस समय प्रकाश में आया था जब सुभाष बघेल के बेटे रमेश बघेल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

हाईकोर्ट के बाद SC पहुंचे थे परिजन: हाईकोर्ट ने ईसाई रीति-रिवाज के तहत शव दफनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिस पर रमेश ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए अलग अलग राय दी.जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने इस मामले में अलग अलग मत दिया. जस्टिस नागरत्ना ने अपीलकर्ता रमेश बघेल को अपने पिता को अपनी निजी कृषि भूमि में दफनाने की अनुमति दी. उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के फैसले से समाज में भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलेगा. वहीं, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि शव को केवल ईसाइयों के लिए निर्धारित स्थान, जो कि करकापाल गांव में स्थित है, पर ही दफनाया जा सकता है.

बस्तर पादरी केस में वकील का बयान (ETV BHARAT)

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?: सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को सुलझाने की कोशिश करते हुए अनुच्छेद 142 के तहत निर्णय दिया कि शव को करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए तय किए गए स्थान पर ही दफनाया जाए. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार ईसाइयों के लिए पूरे राज्य में कब्रिस्तान चिन्हित करेगी और यह कार्य दो महीने के भीतर पूरा किया जाएगा.

मृतक के पुत्र की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जहां पर वो निवासरत है वहां के मूल स्थान पर ही शव को दफनाने की अनुमति दी जानी चाहिए. जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया था कि जो ईसाई समुदाय के लिए चिन्हांकित जगह है वहां पर ही शव को दफनाया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका निराकृत कर दी थी. इस पर वह सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में इस पर सुनवाई हुई. एसपी ने अनुच्छेद 142 के तहत फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए तय किए गए स्थान पर ही दफनाया जाए- रोहित शर्मा, इस केस के वकील

यह केस उस वक्त सामने आया जब रमेश बघेल ने शिकायत की कि अधिकारियों ने उसके पिता का शव दफनाने के लिए उचित स्थान की व्यवस्था नहीं की. शव 7 जनवरी से शवगृह में पड़ा हुआ था, जिससे समस्या और बढ़ गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात की और कहा कि इस प्रकार की स्थिति से नागरिकों को दुख नहीं होना चाहिए.

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Last Updated : Jan 27, 2025, 11:03 PM IST

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