नई दिल्ली:कांग्रेस ने कहा कि उसने I.N.D.I.A ब्लॉक के लिए महाराष्ट्र में कुछ सीटों का त्याग किया क्योंकि आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराना महत्वपूर्ण था, लेकिन यह भी कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ी हिस्सेदारी का दावा करेगी. महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 17, शिवसेना यूबीटी को 21 और एनसीपी-एसपी को 10 सीटें मिलीं.
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ईटीवी भारत को बताया, 'गठबंधन में ऐसी चीजें होती रहती हैं लेकिन हम सभी को बड़ी तस्वीर देखनी होगी. हमें अपने कार्यकर्ताओं को समझाना होगा. गठबंधन सहयोगियों को अब भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति को हराने के लिए मिलकर काम करना होगा.' पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि सीटों का बंटवारा पिछले 2019 के लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनावों की संख्या को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
2019 में कांग्रेस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे केवल 1 सीट मिली, एनसीपी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटें हासिल कीं, जबकि एनडीए ने सभी 48 सीटों पर चुनाव लड़ा और 41 सीटें जीतीं. इसमें से भाजपा ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और 23 सीटें जीतीं. अविभाजित शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा और 18 सीटें जीतीं.
उसी वर्ष विधानसभा चुनावों में कुल 288 सीटों में से भाजपा ने 105, अविभाजित शिवसेना ने 56, कांग्रेस ने 44 और अविभाजित राकांपा ने 54 सीटें जीती थीं. हालांकि, सेना ने दीर्घकालिक सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस और एनसीपी के साथ महा विकास अघाड़ी सरकार का गठन किया.
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पिछले दो वर्षों में भाजपा ने सेना और राकांपा दोनों को तोड़ दिया, जिससे दो क्षेत्रीय सहयोगियों, शिव सेना यूबीटी और राकांपा-सपा की संख्या कम हो गई, लेकिन उन्हें कड़ी सौदेबाजी करने से नहीं रोका गया.
इसलिए सीटों के बंटवारे में देरी :पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे में देरी हुई क्योंकि कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बीच मुंबई उत्तर पश्चिम, सांगली और भिवंडी सीटों पर खींचतान थी, जो सबसे पुरानी पार्टी के पारंपरिक गढ़ हैं. अंत में कांग्रेस को मुंबई नॉर्थ वेस्ट और सांगली को शिवसेना यूबीटी के लिए और भिवंडी को एनसीपी-एसपी के लिए छोड़ना पड़ा, जिससे स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हो गए.