हैदराबाद: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की वोटिंग के दौरान हैदराबाद सीट से भाजपा उम्मीदवार माधवी लता सोमवार को मतदान के दौरान एक पोलिंग बूथ पर एक मुस्लिम महिला का बुर्का उठाकर 'फंस' गई हैं. उनके खिलाफ हैदराबाद में भारतीय दंड संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है. माधवी लता का मामला सामने आने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या कोई उम्मीदवार चुनाव के दौरान किसी महिला मतदाता का बुर्का उठा सकता है.
हैदराबाद के जिला निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक, किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को पोलिंग बूथ पर वोट करने पहुंचे मतदाता की पहचान की जांच करने के लिए उसका घूंघट या बुर्का उठाने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर किसी मतदाता पर कोई संदेह है, तो उम्मीदवार पोलिंग बूथ के पीठासीन अधिकारी से मतदाता की पहचान सत्यापित करने के लिए कह सकता है.
वोटर की पहचान सत्यापित करना उम्मीदवार का काम नहीं...
माधवी लता के मामले पर हैदराबाद के पुलिस आयुक्त श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि सहायक पीठासीन अधिकारी (एआरओ) ने मतदाताओं की पहचान की जांच करने के लिए एक उम्मीदवार के खिलाफ शिकायत दी है. उन्होंने कहा कि वोटर की पहचान सत्यापित करना उम्मीदवार का काम नहीं है. यह चुनाव अधिकारियों का काम है. पुलिस भी यह काम नहीं कर सकती.
कौन लोग मतदान केंद्र में प्रवेश कर सकते हैं
- मतदाता
- मतदान कर्मी
- सभी उम्मीदवार, चुनाव एजेंट और प्रत्येक उम्मीदवार का नियुक्त पोलिंग एजेंट
- चुनाव आयोग द्वारा अधिकृत मीडियाकर्मी
- चुनाव ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक
- निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक
- संवेदनशील मतदान केंद्र के मामले में वेबकास्टिंग के लिए माइक्रो पर्यवेक्षक, वीडियोग्राफर या फोटोग्राफर
- किसी मतदाता की गोद में या उसके साथ एक बच्चा
- दृष्टिबाधित या अशक्त मतदाता (जो चल नहीं सकता) के साथ आने वाला व्यक्ति
- एक व्यक्ति, जो मतदाताओं की पहचान करने या मतदान प्रक्रिया में उनकी सहायता करने के उद्देश्य से पीठासीन अधिकारी द्वारा नियुक्त किया गया हो
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