मोरन: राज्य के छोटे चाय उत्पादक गुणवत्तापूर्ण चाय के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, ताकि असम की चाय अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके. लेकिन गरीब छोटे चाय उत्पादक अब चाय कंपनियों के शोषण से हताश और निराश हैं. राज्य के हजारों छोटे चाय किसान 1 जून से मिल हाउस में कच्ची चाय की पत्तियां नहीं लेने के कंपनियों के फैसले से परेशान हैं, जब वे पहले से ही कच्ची चाय की पत्तियों की गिरती कीमतों के दबाव में हैं.
क्या है विवाद: असम बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एबीएलएमटीए) के 1 जून से छोटे चाय उत्पादकों से कच्ची चाय की पत्तियां नहीं खरीदने के फैसले के सामने आने के बाद छोटे चाय उत्पादकों में आक्रोश फैल गया है. इसके अलावा इसने अब ऑल असम स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन के साथ-साथ छोटे पैमाने के चाय उत्पादकों के बीच भी अनिश्चितता पैदा कर दी है.
चाय उत्पादक संघ द्वारा छोटे चाय उत्पादकों से कच्ची चाय की पत्तियां नहीं खरीदने के फैसले की घोषणा के बाद ऑल असम स्मॉल टी फार्मर्स एसोसिएशन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. ऑल असम स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन के केंद्रीय प्रचार सचिव योगेश विकास चेतिया ने कहा कि असम बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा पूरी तरह से एकतरफा तरीके से लिया गया निर्णय तर्कहीन, उत्तेजक और छोटे चाय उत्पादकों द्वारा उत्पादित कच्ची चाय की पत्तियों की कीमतों को कम करने की गहरी साजिश है.