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RG KAR रेप और मर्डर केस, गवर्नर सीवी आनंद से मिले पीड़िता के माता-पिता - KOLKATA DOCTOR CASE

पीड़िता के माता-पिता ने गुरुवार को कहा कि वे मामले में न्याय की मांग के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखेंगे.

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 31, 2025, 10:20 AM IST

कोलकाता, पश्चिम बंगाल:पिछले वर्ष अगस्त में सामने आए आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए चर्चित बलात्कार और हत्या के मामले में पीड़िता के माता-पिता न्याय की मांग को लेकर संघर्षरत हैं. इस मामले में पीड़िता के माता-पिता ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि वे उनकी शिकायतों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाएं.

राज्यपाल से भावनात्मक अपील
30 जनवरी 2025 को पीड़िता के माता-पिता ने राज्यपाल से मुलाकात की और इस दौरान अपनी व्यथा व्यक्त की. पश्चिम बंगाल राजभवन मीडिया सेल ने इस मुलाकात की जानकारी देते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "माता-पिता ने राज्यपाल से न्याय की गुहार लगाई और अनुरोध किया कि उनके मामले को भारत के राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष उठाया जाए. राज्यपाल ने उनके दर्द को सांत्वना दी और आश्वासन दिया कि वे आवश्यक कार्रवाई करेंगे."

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने माता-पिता को भरोसा दिलाया कि वे उनके दुख में अकेले नहीं हैं और न्याय की जीत सुनिश्चित होगी.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका वापस ली गई
इस बीच, पीड़िता के माता-पिता ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका वापस ले ली, जिसमें इस घटना की नए सिरे से जांच की मांग की गई थी. गुरुवार को सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने सुझाव दिया कि मामला चूंकि पहले ही कलकत्ता उच्च न्यायालय में लंबित है और आरोपी के खिलाफ दोषसिद्धि हो चुकी है, इसलिए याचिका को सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाया जाना चाहिए.

सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी, जो पीड़िता के माता-पिता की ओर से पेश हुईं, ने अदालत के सुझाव के बाद याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी और एक नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता ग्रहण की.

आरोपी को सजा, लेकिन नई जांच की मांग जारी
20 जनवरी को सियालदाह सिविल और क्रिमिनल कोर्ट ने आरोपी को इस जघन्य जुर्म के लिए दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. ट्रायल कोर्ट के इस फैसले के बाद मेडिकल पेशेवरों और नागरिकों के बीच नाराजगी देखी गई. डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के एक बड़े वर्ग ने आरोपी को मौत की सजा देने की मांग की है.

इसके अलावा, मामले की जांच को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. कुछ लोगों का मानना है कि जांच प्रक्रिया में अनियमितताएं थीं, और इसलिए मामले की फिर से जांच होनी चाहिए.

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