कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जघन्य अपराध के दोषी संजय रॉय को मरते दम तक आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के सियालदह कोर्ट के फैसले पर एक बार फिर निराशा व्यक्त की.
सियालदह कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी कर रही ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में 20 जनवरी को फैसला सुनाया. अदालत ने दोषी संजय रॉय को मृत्युदंड देने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह 'दुर्लभतम' अपराध (rarest of the rare crime) नहीं है.
ममता ने मंगलवार को कहा, "मैं आरजी कर दुष्कर्म-हत्या मामले में अभियुक्तों के लिए मृत्युदंड की मांग कर रही हूं. अगर कोई इतना राक्षसी और बर्बर है, तो समाज उनके प्रति मानवीय कैसे रह सकता है? हमने अपराजिता विधेयक पारित किया, लेकिन केंद्र सरकार उसे मंजूरी नहीं दे रही है."
मालदा में एक जनसभा में सीएम बनर्जी ने कहा, "हमने उस विधेयक में मृत्युदंड को शामिल किया है. हम चाहते हैं कि यह विधेयक देश के लिए रोल मॉडल बने."
बनर्जी ने कहा, "अगर किसी को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो उसे पेरोल मिल सकती है. अगर कोई अपराध करता है, तो क्या हमें उसे माफ कर देना चाहिए? हमने ऐसे मामले देखे हैं, जहां अपराधी तीन महीने के भीतर जेल से बाहर आ गए और यहां तक कि पेरोल पर भी. मैं इस फैसले से वाकई बहुत हैरान हूं. मैं कभी वकील थी और कई केस लड़ चुकी हूं. सियालदह कोर्ट के जज ने कहा कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है और मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता. अगर यह दुर्लभतम मामला नहीं है, तो और क्या है? मुझे लगता है कि यह दुर्लभ, बेहद संवेदनशील और आरोपी द्वारा किया गया जघन्य अपराध है."
इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दे दी. महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने मामले में दोषी रॉय को मृत्युदंड देने की मांग करते हुए जस्टिस देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में अपील दायर की.
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