Balam Kheera Benefits: आमतौर पर हम ककड़ी को सलाद के तौर पर भोजन के दौरान इस्तेमाल करते हैं लेकिन रतलाम के सैलाना में उगने वाली जंबो बालम ककड़ी को लोग नाश्ते और फल की तरह खाना पसंद करते है. इसका कारण है इस ककड़ी का खास स्वाद जो लोगों को बारिश के मौसम में केवल एक महीने तक चखने को मिलता है. स्वाद में यह ककड़ी मीठी लगती है. बालम ककड़ी का खास स्वाद लेने के लिए लोग विशेष तौर पर सैलाना क्षेत्र में इसे खरीदने पहुंचते हैं. बालम ककड़ी औषधीय गुणों से भी भरपूर है.
सऊदी अरब तक है डिमांड
पहली नजर में इसे देखने पर लोग लौकी ही समझते हैं लेकिन जब इसे काटा जाता है तो अंदर से यह हरी और केसरिया रंग की दिखाई देती है. इसके स्वाद से अनजान लोग इसे लौकी ही समझते हैं. बारिश के मौसम में मिलने वाली यह खास ककड़ी 80 से 100 रुपए किलो तक बिकती है. सैलाना के वाली गांव की यह बालम ककड़ी इतनी प्रसिद्ध है कि देश के बड़े शहरों से लेकर कुवैत और सऊदी अरब में भी इसकी डिमांड है.
सिर्फ एक महीने रहता है ककड़ी का सीजन
यह खास तरह की ककड़ी बेल वर्गीय फसलों की श्रेणी में आती है. आमतौर पर मालवा के पहाड़ी क्षेत्र में यह उगाई जाती है. लेकिन सैलाना क्षेत्र में उत्पादन की जाने वाली बालम ककड़ी का साइज और स्वाद सबसे अच्छा होता है. वैसे तो धार , झाबुआ और राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के गोकुंदा, भीम एवं देवगढ़ में भी इसकी खेती होती है. लेकिन सैलाना के वाली गांव की मिट्टी का जादू ही कुछ ऐसा है की यहां की बालम ककड़ी का स्वाद सब में सर्वश्रेष्ठ है. बालम ककड़ी को मिश्रित खेती के तौर पर आदिवासी किसान उगाते हैं. जहां वह अपनी मक्का और कपास की फसल के बीच में इस ककड़ी के बीज लगाते हैं. खेत में फैली बेल के ऊपर यह ककड़ी लगती है जो दिखने में लौकी की तरह होती है. अगस्त महीने के मध्य से लेकर 15 सितंबर तक इस ककड़ी का सीजन रहता है.