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महिला रेलवे कर्मचारी का दर्द! 'मुझे गर्भपात का सामना करना पड़ा', रोटेशनल ट्रांसफर नीति की उठाई जा रही मांग - RAILWAY ROTATIONAL TRANSFER POLICY

कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे को स्वस्थ कार्य वातावरण के लिए हर स्तर पर इस नीति को सख्ती से लागू करना चाहिए. उनका कहना है कि, जूनियर कर्मचारियों पर एक्स्ट्रा दबाब डाला जा रहा है. ईटीवी भारत संवाददाता चंचल मुखर्जी की रिपोर्ट...

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प्रतीकात्मक तस्वीर (Getty Images)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 24, 2024, 7:12 PM IST

नई दिल्ली: रेलवे कर्मचारियों ने रोटेशनल ट्रांसफर नीति को सख्ती से लागू करने की मांग की है. रोटेशनल ट्रांसफर मुद्दे की वकालत करते हुए, भारतीय रेलवे के कर्मचारियों, अधिकारियों ने ईटीवी भारत से बातचीत की. बता दें कि, कई रेलवे यूनियन बेहतर रेल संचालन और सुचारू कार्य वातावरण की स्थिति के लिए संवेदनशील पदों पर कार्यरत अधिकारियों के रोटेशनल ट्रांसफर के उचित कार्यान्वयन के लिए आवाज उठा रही हैं.

रोटेशनल ट्रांसफर मुद्दे की वकालत करते हुए, भारतीय रेलवे सिंगनलिंग और दूरसंचार विभाग अनुरक्षक संघ के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाशआलोक चंद्र प्रकाश ने कहा, "रेलवे के पास रोटेशनल ट्रांसफर के बारे में एक स्पष्ट नीति है, लेकिन इसका ठीक से पालन नहीं किया गया है, जिसके कारण कई अधिकारी, पर्यवेक्षक और प्रभारी अपना कार्यकाल पूरा करने के बावजूद उसी पद पर बने हुए हैं.

उन्होंने कहा, रेलवे को स्वस्थ कार्य वातावरण के लिए हर स्तर पर इस नीति को सख्ती से लागू करना चाहिए. वर्तमान में कई अधिकारी लंबे समय से एक ही पद पर हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपना एकाधिकार शुरू कर दिया है और जूनियर कर्मचारियों पर अतिरिक्त दबाव डाल रहे हैं, जो कार्यस्थल पर अच्छा नहीं है".

वहीं, भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार पांधी ने ईटीवी भारत से कहा,

"यह एक तथ्य है कि रोटेशनल ट्रांसफर पॉलिसी को ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण कार्यस्थल पर कई विसंगतियां विकसित होती हैं। बेहतर कार्यस्थल बनाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सामंजस्यपूर्ण स्थिति स्थापित करने के लिए ट्रांसफर नीति बनाई गई थी, लेकिन इसे उचित तरीके से लागू नहीं किया गया है. यह एक अच्छी नीति है, इसलिए रेलवे को इसे अच्छे अर्थों में लागू करना चाहिए."

अहमदाबाद के कांकरिया स्टेशन पर तैनात एक महिला रेलवे कर्मचारी, ने इस साल की शुरुआत में कई वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के बारे में अपना लिखित शिकायत पत्र प्रस्तुत किया था. उनके पत्र में आरोप लगाया गया है कि, खराब स्वास्थ्य की स्थिति में, उन पर काम करने का दबाव डाला गया, जिसके परिणामस्वरूप मेरी स्वास्थ्य स्थिति खराब हो गई और उन्हें गर्भपात का सामना करना पड़ा. महिला कर्मचारी ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया...

"कई वरिष्ठ अधिकारी अक्सर खराब चिकित्सा स्वास्थ्य स्थितियों के दौरान भी जूनियर कर्मचारियों पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं, जो स्वस्थ कार्य वातावरण के लिए अच्छा नहीं है. इस तरह के मुद्दों से बचने के लिए एक उचित स्थानांतरण पोस्टिंग प्रणाली का पालन किया जाना चाहिए."

इसी तरह, वटवा स्टेशन पर तैनात एक कर्मचारी गुलाब सिंह पुष्कर ने कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ सितंबर में रेलवे को एक लिखित शिकायत दी है. ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष राम शरण ने ईटीवी भारत को बताया...

"रोटेशनल ट्रांसफर निर्धारित नियम के अनुसार लागू नहीं किया जा रहा है, जिसका असर निचले स्तर के कर्मचारियों पर पड़ रहा है. यदि अधिकारी और पर्यवेक्षक लंबे समय तक एक ही पद पर काम करते हैं, तो वह कर्मचारियों पर एकाधिकार और अनावश्यक नियंत्रण करना शुरू कर देते हैं, जिससे काम का माहौल खराब होता है. नियम के अनुसार स्थानांतरण नीति का पालन करके इस स्थिति को टाला जा सकता है".

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (आई एंड पी) दिलीप कुमार ने रोटेशनल ट्रांसफर मुद्दे पर ईटीवी भारत से कहा, "संवेदनशील पदों पर स्थानांतरण के संबंध में रेलवे की स्पष्ट नीति है और इन पदों को पहले से ही चिह्नित किया गया है. इन पदों पर दिशा-निर्देशों के अनुसार ट्रांसफर किया गया है."

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