नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को सीलमपुर में एक जनसभा की. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर भी हमला किया. हालांकि, केजरीवाल की तरफ से इस पर कोई खास पलटवार नहीं किया गया. आखिर इसके राजनीतिक मायने क्या है? इस पर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनोज झा से बात की.
राजनीतिक विश्लेषक मनोज झा ने बताया कि दिल्ली की सत्ता में आम आदमी पार्टी कांग्रेस की जमीन छीनकर काबिज हुई है. चुनावी जनसभा में राहुल गांधी का हमला बहुत तेज नहीं था. इससे जाहिर है कांग्रेस इंडिया गठबंधन के अन्य राजनीतिक पार्टियों का दबाव मान रही है. केजरीवाल पर राहुल गांधी ने हमला करने के तुरंत बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया. अन्य क्या मायने हैं जानने के लिए पढ़े ये रिपोर्ट....
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक मनोज झा का कहना है कि " रैली में राहुल गांधी का टोन उत्साहजनक नहीं था, जिसकी उम्मीद कार्यकर्ताओं को थी. दिल्ली में केजरीवाल कमजोर होंगे तभी कांग्रेस की खोई हुई जमीन वापस होगी. इसका मतलब ये है कि इंडिया गठबंधन का दबाव काम कर गया है. इंडिया गठबंधन के नेता दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के प्रति चुनाव न लड़ने या नरम रुख रखने का दबाव बना रहे हैं. यही वजह है कि राहुल गांधी ने केजरीवाल के ऊपर बहुत ही हल्का अटैक किया.
''भ्रष्टाचार हटाने के मुद्दे पर शीला दीक्षित पर हमला कर केजरीवाल सत्ता में आए थे. राहुल गांधी को भ्रष्टाचार को लेकर शराब घोटाले पर केजरीवाल को घेरना चाहिए था. राहुल गांधी ने केजरीवाल पर हमले के बाद हर बार मोदी का नाम लिया. इससे उनका हमला केजरीवाल को लेकर कम हो गया. भाजपा 34 से 36 प्रतिशत वोट पर कायम है. राहुल के हमले से भाजपा का वोट कम नहीं हो सकता है. उन्हें आम आदमी पार्टी पर हमला बोलना था. राहुल का रवैया केजरीवाल के प्रति नरम था. राहुल गांधी की रैली से पता चल गया है कि कांग्रेस ने हथियार डाल दिए हैं, बहुत मजबूती से कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ने जा रही है."-राजनीतिक विश्लेषक, मनोज झा