बरहामपुर: ओडिशा के बरहामपुर स्थित एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर रैगिंग का एक नया मामला सामने आया है. खबर के मुताबिक, बताया जा रहा है कि दूसरे साल के एमबीबीएस छात्रों को सीनियर्स निशाना बना रहे हैं.
यह मामला तब प्रकाश में आया जब दूसरे साल के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) से शिकायत की. साथ ही संस्थान को इसकी जांच करने को कहा. वहीं, कथित रैगिंग की शिकायत के बाद, कॉलेज के एंटी-रैगिंग सेल ने शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारियों, संकाय प्रमुखों और स्थानीय पुलिस अधिकारियों और छात्र संघ के पदाधिकारियों के अलावा दूसरे साल के छात्रों की एक बैठक बुलाई, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा की गई.
आरोप है कि, सीनियर दूसरे साल के एमबीबीएस छात्रों को कथित तौर पर परेशान कर रहे हैं. इस गंभीर आरोप के बाद घटना की जांच शुरू कर दी गई है. हालांकि, इस घटना में छात्रों ने नहीं बल्कि उनके अभिभावकों ने एमकेसीजी में उत्पीड़न के बारे में एंटी-रैगिंग सेल और एनएमसी सेल से शिकायत की. वहीं, दूसरी तरफ मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने आरोपों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
एंटी-रैगिंग सेल के अनुसार, यह मुद्दा तब उठा जब प्रथम वर्ष के छात्रों को दूसरे साल में जाने के बाद नए हॉस्टल में ट्रांसफर कर दिया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए रैगिंग से जुड़ी शिकायत को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास भी भेजा गया है. वहीं, डीन प्रो. डॉ. सुचित्रा दास ने कथित रैगिंग की घटनाओं के बारे में जानकारी जुटाने के लिए हॉस्टल वार्डन और कुछ छात्रों से चर्चा की पुष्टि की.
हालांकि, अभी तक रैगिंग की घटना को लेकर कोई सबूत नहीं मिले हैं. हालांकि, डॉ. दास ने कहा, 'अगर रैगिंग का कोई सबूत मिलता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.' उन्होंने कहा कि कथित तौर पर रैगिंग विरोधी समिति ने जांच के लिए सभी छात्रावासों का दौरा किया, लेकिन कोई भी छात्र बोलने के लिए आगे नहीं आया.
डॉ दास ने कहा कि, यहां तक कि छात्र समिति की बैठक में भी शामिल हुए, लेकिन यह आश्वासन दिए जाने के बाद भी कि उनकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी, वे चुप रहे. अब जांच रिपोर्ट एनएमसी को भेजी जाएगी. लेकिन डॉ. दास ने कहा कि, सभी छात्रों ने इस बात से साफ इनकार किया कि ऐसी कोई घटना हुई थी.
ये भी पढ़ें:नरेंद्र मोदी मेडिकल कॉलेज में रैगिंग, 4 सीनियर डॉक्टर सस्पेंड