नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया. हाई कोर्ट ने एक महिला के कथित अपहरण के मामले में प्रज्वल रेवन्ना की मां भवानी रेवन्ना को अग्रिम जमानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यह मामला एक महिला की स्वतंत्रता से जुड़ा है, सुप्रीम कोर्ट इस बात से सहमत नहीं था कि हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है, लेकिन अंततः में अदालत को मामले में नोटिस जारी करना पड़ा.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर विचार करने में अपनी अनिच्छा व्यक्त की. हालांकि, एसआईटी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ जोरदार दलील दी और अदालत को नोटिस जारी करने के लिए राजी किया.
'प्रतिवादी महिला की उम्र 50 से अधिक'
सुनवाई की शुरुआत में सिब्बल ने कहा कि हाई कोर्ट की ओर से प्रतिवादी को दी गई राहत दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि मामले में ऐसे बयान मौजूद हैं कि पीड़िता का वास्तव में अपहरण किया गया था. इस पर जस्टिस कांत ने सिब्बल से कहा कि वे हाई कोर्ट के तर्क को देखें और राजनीतिक विवाद को अलग रखें. प्रतिवादी महिला की उम्र 50 से अधिक है. न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि उनके बेटे के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं, लेकिन अपने बेटे के किए अपराध को बढ़ावा देने में मां की क्या भूमिका होगी.
'पीड़िता को बंधक बनाया गया'
सिब्बल ने कहा कि हाई कोर्ट को इस बात पर विचार करना चाहिए था कि निचली अदालत ने अग्रिम जमानत देने से क्यों मना कर दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि वह राजनीति में नहीं पड़ रहे हैं. सिब्बल ने जोर देकर कहा कि ऐसे बयान हैं जो इशारा करते हैं कि पीड़िता को वास्तव में बंधक बनाया गया था, और उसे एक खेत में ले जाया गया और वह वहां से भाग गई.