भुवनेश्वर/पुरी : गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने जून या जुलाई में होने वाले पारंपरिक त्योहारों से पहले 9 नवंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आयोजित करने की अंतरराष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) की योजना पर कड़ी आपत्ति जताई है. मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, पुरी नरेश ने इसे रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई करने की अपनी मंशा जाहिर की. उनके अनुसार इस तरह की नई प्रथा हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक की पवित्रता को कमजोर करती है.
गजपति महाराज ने कहा, "सनातन धर्म में धार्मिक त्योहारों को शास्त्रों के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए मनाया जाता है. जिस तरह क्रिसमस या ईद की तारीखों को मनमाने ढंग से नहीं बदला जाता है, उसी तरह भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए भी पारंपरिक तिथियों का पालन करना चाहिए. अगर जरूरत पड़ी तो हम कानूनी सहारा लेंगे."
उन्होंने आगे कहा कि इस्कॉन वैष्णव धर्म का पालन करता है, जो भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए समर्पित है. वे भगवान जगन्नाथ को अपनी आस्था में प्रमुखता से नहीं रखते हैं. गजपति ने कहा, "मैं उनसे आग्रह करूंगा कि वे अपनी आस्था के प्रचार के लिए भगवान जगन्नाथ का सहारा न लें. श्री जगन्नाथ महाप्रभु साल में केवल दो बार मंदिर से बाहर आते हैं, एक बार स्नान यात्रा के लिए और दूसरी बार रथ यात्रा के लिए. इसलिए इस्कॉन द्वारा उन्हें अपनी प्रचार यात्राओं के लिए बाहर ले जाना अनुचित है."
गजपति महाराज का फैसला अंतिम
वहीं, ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि राज्य सरकार गजपति महाराज और मंदिर प्रशासन के फैसले का समर्थन करेगी. उन्होंने कहा, "हम भगवान जगन्नाथ की शिष्टता से समझौता नहीं होने देंगे. त्रिदेवों से जुड़ी हर चीज की अपनी विशेष रीति-रिवाज और परंपराएं हैं और ये सभी बहुत गहरी जड़ें जमाए हुए हैं. दुनिया भर में लोग अपनी इच्छा के अनुसार एक दिन की रथ यात्रा आयोजित नहीं कर सकते. इस्कॉन ने अपनी स्नान यात्रा रद्द कर दी है और हमें उम्मीद है कि वे पुरी मंदिर के नियमों का पालन करेंगे और अपनी अनिर्धारित रथ यात्रा रद्द करेंगे. अगर वे सहमत नहीं होते हैं, तो हम गजपति महाराज और मंदिर प्रशासन के फैसले का समर्थन करेंगे."
रथ यात्रा के समय को लेकर विवाद
यह विवाद इस्कॉन के पारंपरिक कैलेंडर से हटकर रथ उत्सव आयोजित करने के फैसले पर है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, रथ यात्रा आमतौर पर जून या जुलाई में आषाढ़ शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन (द्वितीया) मनाई जानी चाहिए. हालांकि, इस्कॉन के ह्यूस्टन मंदिर ने नवंबर में कार्यक्रम निर्धारित किया है, जिसका पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती सहित पारंपरिक हिंदू नेताओं ने कड़ा विरोध किया है और चेतावनी दी है कि त्योहार के समय में बदलाव करने से इसका आध्यात्मिक सार खत्म हो जाएगा. उनका कहना है कि अगर कार्यक्रम शास्त्रीय नियमों के अनुसार नहीं आयोजित किया जाता है, तो इसका वास्तविक महत्व खत्म हो जाता है और यह केवल अनुष्ठान या प्रचार तक सीमित रह जाता है.
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